________________
आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
और असमवहत होकर भी मरते हैं । वहाँ से च्युत होकर तिर्यंचों और मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं । वे दो गतिवाले, दो आगतिवाले, प्रत्येकशरीरी और असंख्यात हैं ।
[५१] भगवन् ! स्थावर की कालस्थिति कितने समय की है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहुर्त और उत्कृष्ट से बावीस हजार वर्ष की है । भगवन् ! त्रस की भवस्थिति ? गौतम! जघन्य से अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट से तेतीस सागरोपम की । भंते ! स्थावर जीव स्थावर के रूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट से अनंतकाल तक अनन्त उत्सर्पिणी अवसर्पिणियों तक । क्षेत्र से अनन्त लोक, असंख्येय पुद्गलपरावर्त तक । आवलिका के असंख्यातवें भाग में जितने समय होते हैं उतने पुद्गलपरावर्त तक स्थावर स्थावररूप में रह सकता है । भंते ! स जीव त्रस के रूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट से असंख्यात उत्सर्पिणी-अवसर्पिणियों तक । क्षेत्र से असंख्यात लोक ।
भगवन् ! स्थावर का अन्तर कितना है ? गौतम ! जितना उनका संचिट्ठणकाल है, क्षेत्र से असंख्येय लोक है। त्रस का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट से वनस्पतिकाल । भगवन् ! इन त्रसों और स्थावरों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े त्रस हैं । स्थावर जीव उनसे अनन्तगुण हैं।
प्रतिपत्ति-१ मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
(प्रतिपत्ति-२ "त्रिविध")) [५२] (पूर्वोक्त नौ प्रतिपत्तियों में से) जो कहते हैं कि संसारसमापन्नक जीव तीन प्रकार के हैं, वे ऐसा कहते हैं कि जीव तीन प्रकार के हैं-स्त्री, पुरुष और नपुंसक ।
[५३] स्त्रियाँ कितने प्रकार की हैं ? तीन प्रकार की-तिर्यंचयोनिकस्त्रियां, मनुष्यस्त्रियां और देवस्त्रियां । तिर्यंचयोनिक स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? तीन प्रकार की जलचरी, स्थलचरी और खेचरी । जलचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? पांच प्रकार की-मत्स्यी यावत सुंसुमारी। स्थलचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? दो प्रकार की-चतुष्पदी और परिसी । चतुष्पदी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? चार प्रकार की एकखुर वाली यावत् सनखपदी । परिसी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? दो प्रकार की-उरपरिसी और भुजपरिसी । उरपरिसपी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? तीन प्रकार की-अहि, अजकरी और महोरगी । भुजपरिसी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? अनेक प्रकार की, यथा-गोधिका, नकुली, सेधा, सेला, सरटी, शशकी, खारा, पंचलौकिक, चतुष्पदिका, मूषिका, मुंगुसिका, घरोलिया गोल्हिका, योधिका, वीरचिरालिका आदि । खेचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? चार प्रकार की-चर्मपक्षिणी यावत् विततपक्षिणी ।।
मनुष्य स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? तीन प्रकार की कर्मभूमिजा, अकर्मभूमिजा और अन्तर्वीपजा । अन्तर्दीपजा स्त्रियां कितने प्रकार की हं ? अट्ठावीस प्रकार की, यथाएकोरुकद्वीपजा, यावत् शुद्धदंतद्वीपजा | अकर्मभूमिजा स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? तीस प्रकार की, यथा-पांच हैमवत, पांच एरण्यवत, पांच हरिवर्ष, पांच रम्यकवर्ष, पांच देवकुरु,
और पांच उत्तरकुरु में उत्पन्न । कर्मभूमिजा स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? पन्द्रह प्रकार की हैं। यथा-पांच भरत, पांच ऐवत, और पांच महाविदेहों में उत्पन्न ।