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जीवाजीवाभिगम-२/-/५३
देवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? चार प्रकार की । यथा-भवनपतिदेवस्त्रियां, वानव्यन्तरदेवस्त्रियां, ज्योतिष्कदेवस्त्रियां और वैमानिकदेवस्त्रियां । भवनपतिदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? दस प्रकार की । यथा-असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार-भवनवासी-देवस्त्रियां । वानव्यन्तरदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? आठ प्रकार की हैं । यथा- पिशाच यावत् गन्धर्ववानव्यन्तरदेवस्त्रियां । ज्योतिष्कदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? पांच प्रकार की । यथाचन्द्रविमान, सूर्यविमान, ग्रहविमान, नक्षत्रविमान और ताराविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां । वैमानिक देवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? दो प्रकार की हैं । यथा-सौधर्मकल्प और ईशानकल्पवैमानिक देवस्त्रियां ।
[५] हे भगवन् ! स्त्रियों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! एक अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की, दूसरी अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहुर्त और उत्कृष्ट नौ पल्योपम की, तीसरी अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट सात पल्योपम की और चौथी अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पचास पल्योपम की स्थिति है।
[५५] हे भगवन् ! तिर्यक्योनिस्त्रियों की स्थिति कितने समय की है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट से तीन पल्योपम की । भगवन् ! जलचर तिर्यक्योनिस्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है । भगवन् ! चतुष्पद स्थलचरतिर्यस्त्रियों की स्थिति है ? गौतम ! जैसे तिर्यंचयोनिक स्त्रियों की स्थिति कही है वैसी जानना । भंते ! उरपरिसर्प स्थलचर तिर्यस्त्रियों की स्थिति कितने समय की है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि । इसी तरह भुजपरिसर्प स्त्रियों की स्थिति भी समझना। इसी तरह खेचरतिर्यस्त्रियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहुर्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवां भाग है ।
हे भगवन् ! मनुष्यस्त्रियों की कितने समय की स्थिति है ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की । चारित्रधर्म की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त
और उत्कृष्ट कुछ कम पूर्वकोटि । भगवन् ! कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! क्षेत्र को लेकर जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति है और चारित्रधर्म को लेकर जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटि । भगवन् ! भरत और एरवत क्षेत्र की कर्मभूमि की मनुष्य स्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहुर्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति है । चारित्रधर्म की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहुर्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटि । भंते ! पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह की कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि। चारित्रधर्म की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटि । भंते ! अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा से जघन्य कुछ कम पल्योपम । कुछ कम से तात्पर्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग से कम समझना चाहिए । उत्कृष्ट से तीन पल्योपम की स्थिति है । संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटि है ।
हेमवत-ऐरण्यवत क्षेत्र की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोन