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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
द्विप्रदेशी पुद्गलों के पर्याय की तरह समझना । इसी प्रकार मध्यम अवगाहना वाले चतुः प्रदेशी स्कन्ध का कथन करना । विशेष यह कि अवगाहना से कदाचित् हीन, कदाचित् तुल्य, कदाचित् अधिक होता है । यदि हीन हो तो एक प्रदेशहीन होता है, यदि अधिक हो तो एकप्रदेश अधिक होता है । इसी प्रकार दशप्रदेशी स्कन्ध तक का कथन करना । विशेष यह कि मध्यम अवगाहना वाले में एक-एक प्रदेश की परिवृद्धि करना । इस प्रकार यावत् दशप्रदेशी तक सात प्रदेश बढ़ते हैं ।
भगवन् ! जघन्य अवगाहनावाले संख्यातप्रदेशी पुद्गलों के अनन्त पर्याय कहे हैं । क्योंकी- - जघन्य अवगाहना वाले संख्यानप्रदेशी स्कन्ध द्रव्य से तुल्य है, प्रदेशों से द्विस्थानपतित है, अवगाहना से तुल्य है, स्थिति से चतुःस्थानपतित है और वर्णादि चार स्पर्शो से षट्स्थानपतित है । इसी प्रकार उत्कृष्ट अवगाहना वाले में भी कहना । अजघन्य - अनुत्कृष्ट अवगाहना वाले संख्यातप्रदेशी स्कन्धों को भी ऐसा ही समझना । विशेष यह कि वह स्वस्थान में द्विस्थानपतित है ।
जघन्य अवगाहनावाले असंख्यात प्रदेशी स्कन्धों के अनन्त पर्याय हैं । क्योंकीजघन्य अवगाहना वाले असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्य से तुल्य है, प्रदेशों से चतुःस्थानपतित है और वर्णादि तथा उपर्युक्त चार स्पर्शो की से षट्स्थानपतित है । उत्कृष्ट अवगाहना वाले में भी इसी प्रकार समझना । मध्यम अवगाहनावाले को भी इसी प्रकार समझना । विशेष यह कि स्वस्थान में चतुःस्थानपतित है ।
भगवन् ! जघन्य अवगाहनावाले अनन्तप्रदेशी स्कन्धों के अनन्त पर्याय हैं । क्योंकीजघन्य अवगाहनावाले अनन्तप्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की तुल्य है, प्रदेशों से षट्स्थानपतित है, अवगाहना से तुल्य है, स्थिति से चतुःस्थानपतित है, वर्णादि तथा उपर्युक्त चार स्पर्शो से षट्स्थानपतित है । उत्कृष्ट अवगाहना वाले अनन्तप्रदेशी स्कन्धों को भी इसी प्रकार समझना, विशेष यह कि स्थिति से भी तुल्य है । मध्यम अवगाहनावाले अनन्तप्रदेशी स्कन्धों के अनन्त पर्याय हैं । क्योंकी - मध्यम अवगाहना वाले अनन्तप्रदेशी स्कन्ध द्रव्य से तुल्य है, प्रदेशों से षट्स्थानपतित है, अवगाहना से चतुःस्थानपतित है, स्थिति और वर्णादि तथा अष्ट स्पर्शो से षट्स्थानपतित है ।
जघन्य स्थिति वाले परमाणुपुद्गल के अनन्त पर्याय हैं । क्योंकी - जघन्य स्थितिवाले परमाणुपुद्गल द्रव्य, प्रदेशों, अवगाहना तथा स्थिति से तुल्य है एवं वर्णादि तथा दो स्पर्शो से षट्स्थानपतित है । इसी प्रकार उत्कृष्ट स्थितिवाले में समझना । मध्यम स्थितिवाले में भी इसी प्रकार कहना । विशेष यह कि स्थिति से चतुः स्थानपतित है । जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कन्धों के अनन्त पर्याय हैं । क्योंकी - जघन्य स्थिति वाले प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य और प्रदेशों से तुल्य है, अवगाहना से कदाचित् हीन, कदाचित् तुल्य और कदाचित् अधिक होता है । यदि हीन हो तो एकप्रदेश हीन और यदि अधिक हो तो एकप्रदेश अधिक है । स्थिति से तुल्य है और वर्णादि तथा चार स्पर्शो से षट्स्थानपतित है । इसी प्रकार उत्कृष्ट स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कन्धों में कहना । मध्यम स्थिति वाले द्विप्रदेशी स्कन्धों को भी इसी प्रकार कहना । विशेषता यह कि स्थिति से वह चतुःस्थानपतित है । इसी