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________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद और पांच दिन हुआ । चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष आठ मास और बीस दिन होता है। शेष पूर्ववत् जान लेना । पूर्ण आराधना करके अन्त में संलेखना करके वीरकृष्णा आर्या भी सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गई । ४८ वर्ग-८ अध्ययन-८ [ ५७ ] आर्या काली की तरह आर्या रामकृष्णा का भी वृत्तान्त समझना चाहिए । विशेष यह कि रामकृष्णा आर्या भद्रोत्तर प्रतिमा अंगीकार करके विचरण करने लगी, जो इस प्रकार है-पाँच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह यावत्-नव उपवास किये, सबमें सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । यह प्रथम लता हुई । सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ-नव- पांच और छह उपवास किये, सबमें सर्वकामगुण युक्त पारणा किया । यह दूसरी लता हुई । नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पांच-छ-सात और आठ उपवास किये, सबमें सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । यह तीसरी लता पूर्ण हुई । छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात - आठ-नौ और पांच उपवास किये सबमें सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । यह चौथी लता हुई । आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर नव- पांच-छह और सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । यह पांचवीं लता पूर्ण हुई । इस तरह पांच लताओं की एक परिपाटी हुई । ऐसी चार परिपाटियां इस तप में होती हैं । एक परिपाटी का काल छह माह और बीस दिन है । चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष, दो माह और बीस दिन होता है । शेष पूर्व वर्णन के अनुसार समझना चाहिये । काली के समान आर्या रामकृष्णा भी संलेखना करके यावत् सिद्ध-बुद्ध मुक्त हो गई । वर्ग ८ अध्ययन- ९ [ ५८ ] पितृसेनकृष्णा का चरित्र भी आर्या काली की तरह समझना । विशेष यह कि पितृसेनकृष्णा ने मुक्तावली तप अंगीकार किया है-उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके बेला, फिर उपवास, फिर तेला, फिर उपवास, फिर चौला, फिर उपवास और पचौला, फिर उपवास और छह, फिर उपवास और सात इसी तरह क्रमशः बढते बढते उपवास और पंद्रह उपवास तक किए सब के बिचमें पारणा सर्वकामगुणित किए । इस प्रकार जिस क्रम से उपवास बढ़ाए जाते हैं उसी क्रम से उतारते जाते हैं यावत् अन्त में उपवास करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया जाता है । इस तरह यह एक परिपाटी हुई । एक परिपाटी का काल ग्यारह माह और पन्द्रह दिन होते हैं । ऐसी चार परिपाटियां इस तप में होती हैं । इन चारों परिपाटियों में तीन वर्ष और दस मास का समय लगता है । शेष वर्णन पूर्ववत् । वर्ग ८ अध्ययन - १० [ ५९ ] इसी प्रकार महासेनकृष्णा का वृत्तान्त भी समझना । विशेष यह कि इन्होंने वर्द्धमान आयंबिल तप अंगीकार किया जो इस प्रकार है- एक आयंबिल किया, करके उपवास किया, करके दो आयंबिल किये, करके उपवास किया, करके तीन आयंबिल किये, करके
SR No.009784
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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