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________________ अन्तकृदशा-८/१०/५९ ४९ उपवास किया, करके चार आयंबिल किये, करके उपवास किया, करके पाँच आयंबिल किये, करके उपवास किया । ऐसे एक एक की वृद्धि से आयंबिल बढ़ाए । बीच-बीच में उपवास किया, इस प्रकार सौ. आयंबिल तक करके उपवास किया । इस प्रकार महासेनकृष्णा आर्या ने इस 'वर्द्धमान-आयंबिल' तप की आराधना चौदह वर्ष, तीन माह और बीस अहोरात्र की अवधि में सूत्रानुसार विधिपूर्वक पूर्ण की । आराधना पूर्ण करके आर्या महासेनकृष्णा जहाँ अपनी गुरुणी आर्या चन्दनबाला थीं, वहाँ आई और चंदनवाला को वंदना-नमस्कार करके, उनकी आज्ञा प्राप्त करके, बहुत से उपवास आदि से आत्मा को भावित करती हुई विचरने लगी। इस महान् तपतेज से महासेनकृष्णा आर्या शरीर से दुर्बल हो जाने पर भी अत्यन्त देदीप्यमान लगने लगी । एकदा महासेनकृष्णा आर्या को स्कंदक के समान धर्म-चिन्तन उत्पन्न हुआ । आर्यचन्दना आर्या से पूछकर यावत् संलेखना की और जीवन-मरण की आकाँक्षा से रहित होकर विचरने लगी । महासेनकृष्णा आर्या ने आर्याचन्दना के पास सामायिक से लेकर ग्यारह अंगों का अध्ययन किया, पूरे सत्रह वर्ष तक संयमधर्म का पालन करके, एक मास की संलेखना से आत्मा को भावित करके साठ भक्त अनशन को पूर्णकर यावत् जिस कार्य के लिये संयम लिया था उसकी पूर्ण आराधना करके अन्तिम श्वास-उच्छ्वास से सिद्ध बुद्ध हुई । [६०] पहली काली देवी का दीक्षाकाल आठ वर्ष का, तत्पश्चात् क्रमशः एक-एक वर्ष की वृद्धि करते-करते दसवीं महासेनकृष्णा का दीक्षाकाल सत्तरह वर्ष का जानना । [६१] इस प्रकार हे जंबू ! यावत् मुक्तिप्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने आठवें अंग अन्तकृद्दशा का यह अर्थ कहा है, ऐसा मैं कहता हूँ । [६२] अंतगडदशा अंग में एक श्रुतस्कंध है । आठ वर्ग हैं । आठ ही दिनों में इनकी वाचनां होती है । इसमें प्रथम और द्वितीय वर्ग में दस दस उद्देशक हैं, तीसरे वर्ग में तेरह उद्देशक हैं, चौथे और पाँचवें वर्ग में दस-दस उद्देशक हैं, छठे वर्ग में सोलह उद्देशक हैं । सातवें वर्ग में तेरह उद्देशक हैं और आठवें वर्ग में दस उद्देशक हैं । शेष वर्णन ज्ञाताधर्मकथा के अनुसार जानना चाहिए । | ८| अन्तकृतदशा-आगमसूत्र-८-हिन्दी अनुवाद पूर्ण |
SR No.009784
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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