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भगवती - १२/२/९/५५५
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से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे, समस्त वैमानिक देवों से यावत् सर्वार्थसिद्ध से उत्पन्न होते हैं । शेष (देवों से नहीं ।
भगवन् ! भावदेव किस गति से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! व्युत्क्रान्ति पद में भवनवासियों के उपपात के कथन समान यहां भी कहना चाहिए |
[५५६] भगवन् ! भव्यद्रव्यदेवों की स्थिति कितने काल की कही है ? गौतम ! जघन्यतः अन्तमुहूर्त की है और उत्कृष्टतः तीन पल्योपम की है । भगवन् ! नरदेवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य सात सौ वर्ष की और उत्कृष्ट चौरासी लाख पूर्व की है । भगवन् ! धर्मदेवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य अन्तमुहूर्त की और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि की है । भगवन् ! देवाधिदेवों की स्थिति ? गौतम ! जघन्य बहत्तर वर्ष की और उत्कृष्ट चौरासी लाख पूर्व की है । भगवन् ! भावदेवों की स्थिति ? गौतम ! जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम की है ।
[५.५७] भगवन् ! क्या भव्यदेव एक रूप की अथवा अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में समर्थ है ? गौतम ! वह एक रूप की और अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में भी समर्थ है। एक रूप की विकुर्वणा करता हुआ वह एक एकेन्द्रिय रूप यावत् अथवा एक पंचेन्द्रिय रूप की और अनेक रूपों की विकुर्वणा करता हुआ अनेक एकेन्द्रिय रूपों यावत् अथवा अनेक पंचेन्द्रिय रूपों
विकुर्वणा करता है । वे रूप संख्येय या असंख्येय, सम्बद्ध अथवा असम्बद्ध अथवा सदृश या असदृश विकुर्वित किये जाते हैं । बाद वे अपना यथेष्ट कार्य करते हैं । इसी प्रकार नरदेव और धर्मदेव का विकुर्वणा विषय है
देवाधिदेव (के विकुर्वणा - सामर्थ्य) के विषय में प्रश्न - गौतम ! (वे) एक रूप की और अनेक रूपों की विकुर्वणा करने में भी समर्थ हैं । किन्तु शक्ति होते हुए भी उत्सुकता के अभाव में उन्होंने क्रियान्विति रूप में कभी विकुर्वणा नहीं की, नही करते हैं और न करेंगे । भव्य द्रव्यदेव (के विकुर्वणा - सामर्थ्य) के समान ही भावदेव को जानना ।
[५५८] भगवन् ! भव्यद्रव्यदेव मर कर तुरन्त कहाँ जाते हैं, कहाँ उत्पन्न होते हैं ? क्या वे नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, यावत् अथवा देवों में उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! न तो नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, न तिर्यञ्चों में और न मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु ( एकमात्र) देवों में उत्पन्न होते हैं । यदि (वे) देवों में उत्पन्न होते हैं ( तो भवनपति आदि किन देवों में उत्पन्न होते हैं ? ) ( गौतम !) वे सर्वदेवों में उत्पन्न होते हैं ।
भगवन् ! नरदेव मर कर कहाँ उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) तिर्यञ्चों मनुष्यों और देवों में उत्पन्न नहीं होते । भगवन् ! नैरयिकों कौनसी नरक में उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे सातों पृथ्वीयों में उत्पन्न होते हैं
भगवन् ! धर्मदेव आयुष्य पूर्ण कर तत्काल कहाँ उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! न तो नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, न तिर्यञ्चो में और न मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु देवों में उत्पन्न होते हैं । (भगवन् !) यदि वे देवों में उत्पन्न होते हैं तो क्या भवनवासिदेवों में उत्पन्न होते हैं, अथवा वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क या वैमानिक देवों में उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे न तो भवनवासियों में उत्पन्न होते हैं, न वाणव्यन्तर देवों में और न ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु वैमानिक देवों में सभी वैमानिक देवों में उत्पन्न होते हैं । उनमें से कोई-कोई धर्मदेव सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होते