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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
कारण से ऐसा कहा जाता है ? जयन्ती ! जिस प्रकार कोई सर्वाकाश की श्रेणी हो, जो अनादि, अनन्त हो, परित और परिवृत हो, उसमें से प्रतिसमय एक-एक परमाणु- पुद्गल जितना खण्ड निकालते-निकालते अनन्त उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी तक निकाला जाए तो भी वह श्रेणी खाली नहीं होती । इसी प्रकार, हे जयन्ती ! ऐसा कहा जाता है कि सब भवसिद्धिक जीव सिद्ध होंगे, किन्तु लोक भवसिद्धिक जीवों से रहित नहीं होगा ।
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भगवन् ! जीवों का सुप्त रहना अच्छा है या जागृत रहना अच्छा ? जयन्ती ! कुछ जीवों का सुप्त रहना अच्छा है और कुछ जीवों का जागृत रहना अच्छा है । भगवन् ! ऐसा किस कारण कहते हैं ? जयन्ती ! जो ये अधार्मिक, अधर्मानुसरणकर्ता, अधर्मिष्ठ, अधर्म का कथन करने वाले, अधर्मावलोकनकर्ता, अधर्म में आसक्त, अधर्माचरणकर्ता और अधर्म से ही आजीविका करने वाले जीव हैं, उन जीवों का सुप्त रहना अच्छा है; क्योंकि ये जीव सुप्त रहते हैं, तो अनेक प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों को दुःख, शोक और परिताप देने में प्रवृत्त नहीं होते । ये जीव सोये रहते हैं तो अपने को, दूसरे को और स्व-पर को अनेक अधार्मिक संयोजनाओं में नहीं फंसाते । 'जयन्ती ! जो ये धार्मिक हैं, धर्मानुसारी, धर्मप्रिय, धर्म का कथन करने वाले, धर्म के अवलोकनकर्त्ता, धर्मासक्त, धर्माचरणी, और धर्म से ही अपनी आजीविका करने वाले जीव हैं, उन जीवों का जाग्रत रहना अच्छा है, क्योंकि ये जीव जाग्रत हों तो बहुत से प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों को दुःख, शोक और परिताप देने में प्रवृत्त नहीं होते । ऐसे ( धर्मिष्ठ) जीव जागृत रहते हुए स्वयं को, दूसरे को और स्व-पर को अनेक धार्मिक संयोजनाओं में संयोजित करते रहते हैं । इसलिए इन जीवों का जाग्रत रहना अच्छा है । इसी कारण से, हे जयन्ती !, ऐसा कहा जाता है कि कई जीवों का सुप्त रहना अच्छा है और कई जीवों का जागृत रहना अच्छा है । भगवन् ! जीवों की सबलता अच्छी है या दुर्बलता ? जयन्ती ! कई जीवों की सबलता अच्छी है और कई जीवों की दुर्बलता अच्छी है । भगवन् ! जयन्ती ! जो जीव अधार्मिक यावत् अधर्म से ही आजीविका करते हैं, उन जीवों की दुर्बलता अच्छी है । क्योंकि ये जीव दुर्बल होने से किसी प्राण, भूत, जीव और सत्त्व को दुःख आदि नहीं पहुँचा सकते, इत्यादि सुप्त के समान दुर्बलता का भी कथन करना। और 'जाग्रत' के समान सबलता का कथन करना चाहिए । यावत् धार्मिक संयोजनाओं में संयोजित करते हैं, इसलिए इन जीवों की सबलता अच्छी है । हे जयन्ती ! इसी कारण से ऐसा कहा जाता है कि कई जीवों की सबलता अच्छी है और कई जीवों की निर्बलता ।
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भगवन् ! जीवों का दक्षत्व ( उद्यमीपन) अच्छा है, या आलसीपन ? जयन्ती ! कुछ जीवों का दक्षत्व अच्छा है और कुछ जीवों का आलसीपन अच्छा । भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है ? जयन्ती ! जो जीव अधार्मिक यावत् अधर्म द्वारा आजीविका करते हैं, उन जीवों का आलसीपन अच्छा है । यदि वे आलसी होंगे तो प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों को दुःख, शोक और परिताप उत्पन्न करने में प्रवृत्त नहीं होंगे, इत्यादि सब सुप्त के समान कहना तथा दक्षता का कथन जाग्रत के समान कहना, यावत् वे स्व, पर और उभय को धर्म के साथ संयोजित करने वाले होते हैं । ये जीव दक्ष हों तो आचार्य की वैयावृत्य, उपाध्याय की वैयावृत्य, स्थविरों की वैयावृत्य, तपस्वियों की वैयावृत्य, ग्लान की वैयावृत्य, शैक्ष की वैयावृत्य, कुलवैयावृत्य, गणवैयावृत्य, संघवैयावृत्य और साधर्मिकवैयावृत्य से अपने आपको संयोजित करने वाले होते हैं।