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भगवती-११/-/११/५१४
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नमस्कार करके पूछा- भगवन् ! काल कितने प्रकार का है । हे सुदर्शन ! चार प्रकार का । यथाप्रमाणकाल, यथायुर्निवृत्ति काल, मरणकाल और अद्धाकाल ।
भगवन् ! प्रमाणकाल क्या है ? सुदर्शन ! प्रमाणकाल दो प्रकार का कहा गया है, यथादिवस-प्रमाणकाल और रात्रि-प्रमाणकाल । चार पौरुषी (प्रहर) का दिवस होता है और चार पौरुषी (प्रहर) की रात्रि होती है । दिवस और रात्रि की पौरुषी उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त की होती है, तथा दिवस और रात्रि की जघन्य पौरुषी तीन मुहुर्त की होती है ।
[५१५] भगवन् ! जब दिवस की या रात्रि की पौरुषी उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त की होती है, तब उस मुहूर्त का कितना भाग घटते-घटते जघन्य तीन मुहूर्त की दिवस और रात्रि की पौरुषी होती है ? और जब दिवस और रात्रि की पौरुषी जघन्य तीन मुहूर्त की होती है, तब मुहूर्त का कितना भाग बढ़ते-बढ़ते उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त की पौरुषी होती है ? हे सुदर्शन ! जब दिवस
और रात्रि की पौरुषी उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त की होती है, तब मुहूर्त का एक सौ बाईसवाँ भाग घटते-घटते जघन्य पौरुषी तीन मुहर्त की होती है, और जब जघन्य पौरुषी तीन मुहूर्त की होती है, तब मुहूर्त का एक सौ बाईसवाँ भाग बढ़ते-बढ़ते उत्कृष्ट पौरूषी साढ़े चार मुहूर्त की होती है। भगवन् ! दिवस और रात्रि की उत्कृष्ट साढ़े चार मुहूर्त की पौरुषी कब होती है और जघन्य तीन मुहूर्त की पौरुषी कब होती है ? हे सुदर्शन ! जब उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है तथा जघन्य बारह मुहूर्त की छोटी रात्रि होती है, तब साढे चार मुहूर्त की दिवस की उत्कृष्ट पौरुषी होती है और रात्रि की तीन मुहूर्त की सबसे छोटी पौरुषी होती है । जब उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त की बड़ी रात्रि होती है और जघन्य बारह मुहूर्त का छोटा दिन होता है, तब साढ़े चार मुहूर्त की उत्कृष्ट रात्रिपौरुषी होती है और तीन मुहूर्त की जघन्य दिवस-पौरुषी होती है । भगवन् ! अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिवस और बारह मुहूर्त की जघन्य रात्रि कब होती है ? तथा अठारह मुहूर्त की उत्कृष्ट रत्रि और बारह मुहूर्त का जघन्य दिन कब होता है ? सुदर्शन ! अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिवस और बारह मुहूर्त की जघन्य रात्रि आषाढी पूर्णिमा को होती है; तथा अठारह मुहूर्त की उत्कृष्ट रात्रि और बारह मुहूर्त का जघन्य दिवस पौषी पूर्णिमा को होता है ।
- भगवन् ! कभी दिवस और रात्रि, दोनों समान भी होते हैं ? हाँ, सुदर्शन ! होते हैं । भगवन् ! दिवस और रात्रि, ये दोनों समान कब होते हैं ? सुदर्शन ! चैत्र की और आश्विन की पूर्णिमा को दिवस और रात्रि दोनों समान होते हैं । उस दिन १५ मुहूर्त का दिन और पन्द्रह मुहूर्त की रात होती है तथा दिवस एवं रात्रि की पौने चार मुहर्त की पौरुषी होती है ।
[५१६] भगवन् ! वह यथायुर्निवृत्तिकाल क्या है ? (सुदर्शन !) जिस किसी नैरयिक, तिर्यञ्चयोनिक, मनुष्य अथवा देव ने स्वयं जिस गति का और जैसा भी आयुष्य बांधा है, उसी प्रकार उसका पालन करना-भोगना, 'यथायुर्निर्वृत्तिकाल' कहलाता है।
भगवन् ! मरणकाल क्या है ? सुदर्शन ! शरीर से जीव का अथवा जीव से शरीर का (पृथक् होने का काल) मरणकाल है, यह है-मरणकाल का लक्षण ।
भगवन् ! अद्धाकाल क्या है ? सुदर्शन ! अनेक प्रकार का है । वह समयरूप प्रयोजन के लिए है, आवलिकारूप प्रयोजन के लिए है, यावत् उत्सर्पिणीरूप प्रयोजन के लिए है । हे सुदर्शन ! दो भागों में जिसका छेदन-विभाग न हो सके, वह 'समय' है, क्योंकि वह समयरूप प्रयोजन के लिए है । असंख्य समयों के समुदाय की एक आवलिका कहलाती है । संख्यात