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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
अच्छवि, असबल, अकाश, संशुद्ध-ज्ञान-दर्शनधर अर्हन्त जिन केवली एवं अपरित्रावी ।
__ भगवन् ! पुलाक सवेदी होता है, अथवा अवेदी होता है ? गौतम ! वह सवेदी होता है, अवेदी नहीं । भगवन् ! यदि पुलाक सवेदी होता है, तो क्या वह स्त्रीवेदी होता है, पुरुषवेदी होता है या पुरुष-नपुंसकवेदी होता है ? गौतम ! वह पुरुषवेदी होता है, या पुरुष-नपुंसकवेदी होता है । भगवन् ! बकुश सवेदी होता है, या अवेदी होता है ? गौतम ! बकुश सवेदी होता है । भगवन् ! यदि बकुश सवेदी होता है, तो क्या वह स्त्रीवेदी होता है, पुरुषवेदी होता है, अथवा पुरुष-नपुंसकवेदी होता है ? गौतम ! वह स्त्रीवेदी भी होता है, पुरुषवेदी भी अथवा पुरुष-नपुंसकवेदी भी होता है । इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील जानना ।
भगवन् ! कषायकुशील सवेदी होता है, या अवेदी होता है ? गौतम ! वह सवेदी भी होता है और अवेदी भी । भगवन् ! यदि वह अवेदी होता है तो क्या वह उपशान्तवेदी होता है, अथवा क्षीणवेदी होता है ? गौतम ! वह उपशान्तवेदी भी होता है, और क्षीणवेदी भी । भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है तो क्या स्त्रीवेदी होता है ? इत्यादि । गौतम ! तीनों ही वेदों में होते हैं । भगवन् ! निर्ग्रन्थ सवेदी होता है, या अवेदी होता है ? गौतम ! वह अवेदी होता है । भगवन ! यदि निर्ग्रन्थ अवेदी होता है, तो क्या वह उपशान्तवेदी होता है, या क्षीणवेदी होता है ? गौतम ! दोनो । भगवन् ! स्नातक सवेदी होता है, या अवेदी होता है ? इत्यादि । गौतम ! स्नातक अवेदी होता है, किन्तु वह क्षीणवेदी होता है ।
__[९०२] भगवन् ! पुलाक सराग होता है या वीतराग ? गौतम ! वह सराग होता है, वीतराग नहीं होता है । इसी प्रकार कषायकुशील तक जानना । भगवन् ! निर्ग्रन्थ सराग होता है या वीतराग होता है ? गौतम ! वह वीतराग होता है । (भगवन् !) यदि वह वीतराग होता है तो क्या उपशान्तकषायवीतराग होता है या क्षीणकषायवीतराग होता है ? गौतम ! दोनो । स्नातक के विषय में भी इसी प्रकार जानना । किन्तु क्षीणकषायवीतराग होता है ।
[९०३] भगवन् ! पुलाक स्थितकल्प में होता है, अथवा अस्थितकल्प में होता है ? गौतम ! वह स्थितकल्प में भी होता है और अस्थितकल्प में भी होता है । इसी प्रकार यावत् स्नातक तक जानना । भगवन् ! पुलाक जिनकल्प में होता है, स्थविरकल्प में होता है अथवा कल्पातीत में होता है ? गौतम ! वह स्थविरकल्प में होता है । भगवन् ! बकुश जिनकल्प में होता है ? इत्यादि पृच्छा । गौतम ! वह जिनकल्प में भी होता है, स्थविरकल्प में भी होता है । इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील समझना । भगवन् ! कषायकुशील जिनकल्प में होता है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह जिनकल्प में भी होता है, स्थविरकल्प में भी और कल्पातीत में भी होता है । भगवन् ! निर्ग्रन्थ जिनकल्प में होता है, स्थविरकल्प में या कल्पातीत होता है ? गौतम ! वह कल्पातीत होता है । इसी प्रकार स्नातक को जानना ।
[९०४] भगवन् ! पुलाक सामायिकसंयम में, छेदोपस्थापनिकसंयम, परिहारविशुद्धिसंयम, सूक्ष्मसम्परायसंयम में अथवा यथाख्यातसंयम में होता है ? गौतम ! वह सामायिकसंयम में या छेदोपस्थापनिकसंयम में होता है, किन्तु परिहारविशुद्धि संयम, सूक्ष्मसम्परायसंयम या यथाख्यातसंयम में नहीं होता । बकुश और प्रतिसेवना कुशील के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार समझना । भगवन् ! कषायकुशील किस संयमों में होता है ? गौतम ! वह सामायिक से लेकर सूक्ष्मसम्परायसंयम तक होता है। भगवन् ! निर्ग्रन्थ किस संयम में होता है ? गौतम ! वह