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________________ भगवती-२०/-/५/७८६ १९३ चार स्पर्श वाला होता है तो उसका एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । इस प्रकार स्पर्श के नौ भंग होते हैं । __ भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श वाला है ? गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक अनुसार 'कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है' तक कहना | यदि एक वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला होता है, यावत् श्वेत होता है । यदि दो वर्ण वाला होता है तो उसका एक अंश कदाचित् काला और एक अंश नीला होता है, अथवा उसका एक अंश काला और दो अंश नीले होते हैं, या उसके दो अंश काले और एक अंश नीला होता है, अथवा एक अंश काला और एक अंश लाल होता है, या एक देश काला और दो देश लाल होते हैं, अथवा दो देश काले और एक देश लाल होता है । इसी प्रकार काले वर्ण के पीले वर्ण के साथ तीन भंग, काले वर्ण के साथ श्वेत वर्ण के भी तीन भंग, । इसी प्रकार नीले वर्ण के लाल वर्ण के साथ तथा नीले वर्ण के पीले के साथ और श्वेत वर्ण के साथ तीन तीन भंग । तथैव लाल और पीले के भी तीन भंग होते हैं । इसी प्रकार लाल वर्ण के तीन भंग श्वेत के साथ | पीले और श्वेत के भी तीन भंग । ये सब दस द्विसंयोगी मिलकर तीस भंग होते हैं । यदि त्रिप्रदेशी स्कन्ध तीन वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला, नीला और लाल होता है, कदाचित् काला, नीला और पीला होता है, कदाचित् काला, नीला और श्वेत होता है, कदाचित् काला, लाल और पीला होता है, कदाचित् काला, लाल और श्वेत होता है, कदाचित् काला, पीला और श्वेत होता है, कदाचित् नीला, लाल और पीला होता है, कदाचित् नीला, लाल और श्वेत होता है, कदाचित् नीला, पीला और श्वेत होता है, अथवा कदाचित् लाल, पीला और श्वेत होता है । इस प्रकार ये दस त्रिकसंयोगी भंग होते हैं । यदि एक गन्ध वाला होता है तो कदाचित् सुगन्धित होता है, या कदाचित् दुर्गन्धित होता है । यदि दो गन्ध वाला होता है तो सुगन्धित और दुर्गन्धित के तीन भंग होते हैं । वर्ण के समान रस के भी (४५ भंग) (कहने चाहिए ।) (त्रिप्रदेशी स्कन्ध) यदि दो स्पर्श वाला होता है, तो कदाचित् शीत और स्निग्ध, इत्यादि चार भंग द्विप्रदेशी स्कन्ध के समान यहाँ भी समझने चाहिए । जब वह तीन स्पर्श वाला होता है तो सर्वशीत, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है, अथवा-सर्वशीत, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होता है, अथवा सर्वशीत अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है, या सर्वउष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । यहाँ भी पूर्ववत् तीन भंग होते हैं । अथवा कदाचित् सर्वस्निग्ध, एकदेश शीत और एकदेश उष्ण, यहाँ भी पूर्ववत् तीन भंग कहना । अथवा सर्वरूक्ष, एकदेश शीत और एकदेश उष्ण, इसके भी पूर्ववत् तीन भंग होते हैं । कुल मिलाकर त्रिकसंयोगी त्रिस्पर्शी के बारह भंग होते हैं । यदि त्रिप्रदेशीस्कन्ध चार स्पर्श वाला होता है, तो एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । अथवा एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं । अथवा एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । अथवा एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । या एकदेश शांत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं । अथवा एकदेश शीत अनेकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । या अनेकटे शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष । 4 13
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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