________________
१९२
आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
आभिनिबोधिकज्ञान यावत् विभंगज्ञान, आहारसंज्ञा यावत् परिग्रहसंज्ञा, औदारिकशरीर यावत् कार्मण शरीर, मनोयोग, वचनयोग, काययोग तथा साकारोपयोग एवं अनाकारोपयोग; ये सब
और इनके जैसे अन्य धर्म; क्या आत्मा के सिवाय अन्यत्र परिणमन नहीं करते हैं ? हाँ, गौतम ! यावत् आत्मा के सिवाय अन्यत्र परिणमन नहीं करते हैं ।
[७८४] भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होता हुआ जीव कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले परिणामों से युक्त होता है ? गौतम ! बारहवें शतक के पंचम उद्देशक के अनुसार यहाँ भी-कर्म से जगत् है, कर्म के बिना जीव में विविध (रूप से जगत् का) परिणाम नहीं होता, यहाँ तक | 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है'।
| शतक-२० उद्देशक-४ | [७८५] भगवन् ! इन्द्रियोपचय कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! पांच प्रकार का है, श्रोत्रेन्द्रियोपचय इत्यादि सब वर्णन प्रज्ञापनासूत्र के द्वितीय इन्द्रियोद्देशक के समान कहना चाहिए । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है'।
| शतक-२० उद्देशक-५ | [७८६] भगवन् ! परमाणु-पुद्गल कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है ? गौतम ! (वह) एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श वाला कहा गया है । यदि एक वर्ण वाला हो तो कदाचित् काला, कदाचित् नीला, कदाचित् लाल, कदाचित् पीला और कदाचित् श्वेत होता है । यदि एक गन्ध वाला होता है तो कदाचित् सुरभिगन्ध और कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है । यदि एक रस वाला होता है तो कदाचित् तीखा, कदाचित् कटुक, कदाचित् कसैला, कदाचित् खट्टा और कदाचित् मीठा होता है । यदि दो स्पर्श वाला होता है तो कदाचित् शीत और स्निग्ध, कदाचित् शीत और रूक्ष, कदाचित् उष्ण और स्निग्ध और कदाचित् उष्ण और रूक्ष होता है ।
भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, आदि वाला होता है ? गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक अनुसार यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला तक कहना । यदि वह एक वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला यावत् श्वेत होता है । यदि वह दो वर्ण वाल होता है तो कदाचित् काला और नीला, कदाचित् काला और लाल, कदाचित् काला और पीला, कदाचित् काला और श्वेत, कदाचित् नीला और लाल, कदाचित् नीला और पीला, कदाचित् नीला और श्वेत, कदाचित् लाल और पीला, कदाचित् लाल और श्वेत और कदाचित् पीला
और श्वेत होता है । इस प्रकार द्विकसंयोगी दस भंग होते हैं । यदि वह एक गन्ध वाला होता है तो कदाचित् सुरभिगन्ध, कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है । यदि दो गन्ध वाला है तो दोनों सुरभिगन्ध और दुरभिगन्ध वाला होता है । वर्ण के समान रससम्बन्धी पन्द्रह भंग होते हैं । यदि दो स्पर्श वाला होता है तो शीत और स्निग्ध इत्यादि चार भंग परमाणुपुद्गल के समान जानना । यदि वह तीन स्पर्श वाला होता है तो सर्व शीत होता है, उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, सर्व उष्ण होता है, उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, (अथवा) सर्व स्निग्ध होता है, उसका एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है, अथावा सर्व रूक्ष होता है, उसका एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है, यदि वह