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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
भयंकर वात एवं संवर्तक वात चलेंगी । इस काल में यहाँ बारबार चारों ओर से धूल उड़ने से दिशाएँ रज से मलिन और रेत से कलुषित, अन्धकारपटल से युक्त एवं आलोक से रहित होंगी । समय की रूक्षता के कारण चन्द्रमा अत्यन्त शीतलता फैंकेंगे; सूर्य अत्यन्त तपेंगे । इसके अनन्तर बारम्बार बहुत से खराब रसवाले मेघ, विपरीत रसवाले मेघ, खारे जलवाले मेघ, खत्तमेघ, अग्निमेघ, विद्युत्मेघ, विषमेघ, अशनिमेघ, न पीने योग्य जल से पूर्ण मेघ, व्याधि, रोग और वेदना को उत्पन्न करने वाले जल से युक्त तथा अमनोज्ञ जल वाले मेघ, प्रचण्ड वायु के आघात से आहत हो कर तीक्ष्ण धाराओं के साथ गिरते हुए प्रचुर वर्षा बरसाएँगे; जिससे भारतवर्ष के ग्राम, आकार, नगर, खेड़े, कर्बट, मडम्ब, द्रोणमुख, पट्टण और आश्रम में रहने वाले जनसमूह, चतुष्पद, खग, ग्रामों और जंगलों में संचार में रत त्रसप्राणी तथा अनेक प्रकार के वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लताएँ, बेलें, घास, दूब, पर्वक, हरियाली, शालि आदि धान्य, प्रवाल
और अंकुर आदि तृणवनस्पतियाँ, ये सब विनष्ट हो जाएँगी । वैताढ्यपर्वत को छोड़ कर शेष सभी पर्वत, छोटे पहाड, टीले, डूंगर, स्थल, रेगिस्तान बंजरभूमि आदि सबका विनाश हो जायगा । गंगा और सिन्धु, इन दो नदियों को छोड़ कर शेष नदियाँ, पानी के झरने, गड्ढ़े, (नष्ट हो जाएंगे) दुर्गम और विषम भूमि में रहे हुए सब स्थल समतल क्षेत्र हो जाएँगे ।
[३६०] भगवन् ! उस समय भारतवर्ष की भूमि का आकार और भावों का आविर्भाव किस प्रकार का होगा । गौतम ! उस समय इस भरतक्षेत्र की भूमि अंगारभूत मुर्मुरभूत, भस्मीभूत, तपे हुए लोह के कड़ाह के समान, तप्तप्राय अग्नि के समान, बहुत धूल वाली, बहुत रजवाली, बहुत कीचड़वाली, बहुत शैवालवाली, चलने जितने बहुत कीचड़ वाली होगी, जिस पर पृथ्वीस्थित जीवों का चलना बड़ा ही दुष्कर हो जाएगा । भगवन् ! उस समय में भारतवर्ष के मनुष्यों का आकार और भावों का आविर्भाव कैसा होगा ?
गौतम ! उस समय में भारतवर्ष के मनुष्य अति कुरूप, कुवर्ण, कुगन्ध, कुरस और कुस्पर्श से युक्त, अनिष्ट, अकान्त यावत् अमनोगम, हीनस्वरवाले, दीनस्वरवाले, अनिष्टस्वरवाले यावत् अमनाम स्वरखाले, अनादेय और अप्रतीतियुक्त वचनवाले, निर्लज्ज, कूट-कपट, कलह, वध, बन्ध और वैरविरोध में रत, मर्यादा का उल्लंघन करने में प्रधान, अकार्य करने में नित्य उद्यत, गुरुजनों के आदेशपालन और विनय से रहित, विकलरूपवाले, बढ़े हुए नख, केश, दाढ़ी, मूंछ और रोम वाले, कालेकलूटे, अत्यन्त कठोर श्यामवर्ण के बिखरे हुए बालों वाले, पीले और सफेद केशों वाले, दुर्दर्शनीय रूप वाले, संकुचित और वलीतरंगों से परिवेष्टित, टेढ़ेमेढ़े अंगोपांग वाले, इसलिए जरापरिणत वृद्धपुरुषों के समान प्रविरल टूटे और सड़े हुए दांतों वाले, उद्भट घट के समान भयंकर मुख वाले, विषम नेत्रों वाले, टेढ़ी नाक वाले तथा टेढ़ेमेढ़े एवं भुर्रियों से विकृत हुए भयंकर मुख वाले, एक प्रकार की भयंकर खुजली वाले, कठोर एवं तीक्ष्ण नखों से खुलजालने के कारण विकृत बने हुए, दाद, एकप्रकार के कोढ़, सिध्म वाले, फटी हुई कठोर चमड़ी वाले, विचित्र अंग वाले, ऊंट आदि-सी गति वाले, शरीर के जोड़ों के विषम बंधन वाले, ऊँची-नीची विषम हड्डियों एवं पसलियों से युक्त, कुगठनयुक्त, कुसंहननवाले, कुप्रमाणयुक्त, विषमसंस्थानयुक्त, कुरूप, कुस्थान में बढ़े हुए शरीर वाले, कुशय्यावाले, कुभोजन करनेवाले, विविध व्याधियो से पीड़ित, स्खलित गतिवाले, उत्साहरहित, सत्त्वरहित, विकृत चेष्टावाले, तेजोहीन, बारबार शीत, उष्ण, तीक्ष्ण और कठोर वात से व्याप्त,