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________________ भगवती-६/-/३/२८४ १५१ भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या मनोयोगी बांधता है, वचनयोगी बांधता है, काययोगी बांधता है या अयोगी बांधता है ? गौतम ! निचले तीन-भजना से बांधते हैं; अयोगी नहीं बांधता । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । वेदनीय कर्म को निचले बांधते हैं; अयोगी नहीं बांधता । - भगवन् ! ज्ञानावरणीय (आदि) कर्म को क्या साकारोपयोग वाला बांधता है या अनाकारोपयोग वाला बांधता है ? गौतम ! भजना से (आठों कर्म-प्रकृतियों) बांधते हैं । भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म आहारक जीव बांधता है या अनाहारक जीव बांधता है ? गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को दोनों जीव भजना से बांधते हैं । इसी प्रकार वेदनीय और आयुष्यकर्म को छोड़ कर शेष छहों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए | आहारक जीव वेदनीय कर्म को बाँधता है, अनाहारक के लिए भजना है आयुष्यकर्म को आहारक के लिए भजना है; अनाहरक नहीं बांधता ।। भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या सूक्ष्म जीव बांधता है, बादर जीव बांधता है, अथवा नोसूक्ष्म-नोबादर जीव बांधता है ? गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को सूक्ष्मजीव बांधता है, बादर जीव भजना से बांधता है, किन्तु नोसूक्ष्म-नोबादर जीव नहीं बांधता । इसीप्रकार आयुष्यकर्म को छोड़ कर शेष सातों कर्म-प्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को सूक्ष्म और बादरजीव भजना से बांधते, नोसूक्ष्म-नोबादर जीव नहीं बांधता | भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीय (आदि) कर्म को चरमजीव बांधता है, अथवा अचरमजीव बांधता है ? गौतम ! दोनों प्रकार के जीव, आठों कर्मप्रकृतियों को भजना से बांधते हैं । २८५] हे भगवन् ! स्त्रीवेदक, पुरुषवेदक, नपुंसकवेदक और अवेदक; इन जीवों में से कौन किससे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव पुरुषवेदक हैं, उनसे संख्येयगुणा स्त्रीवेदक जीव हैं, उनसे अनन्तगुणा अवेदक हैं और उनसे भी अनन्तगुणा नपुंसकवेदक हैं । इन सर्व पदों का यावत् सबसे थोड़े अचरम जीव हैं और उनसे चरमजीव अनन्तगुणा हैं पर्यन्त अल्पबहुत्व कहना । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । | शतक-६ उद्देशक-४ [२८६] भगवन् ! क्या जीव कालादेश से सप्रदेश है या अप्रदेश है ? गौतम ! कालादेश से जीव नियमतः सप्रदेश है । भगवन् ! क्या नैरयिक जीव कालादेश से सप्रदेश है या अप्रदेश है ? गौतम ! एक नैरयिक जीव कालादेश से कदाचित् सप्रदेश है और कदाचित् अप्रदेश है । इस प्रकार यावत् एक सिद्ध-जीव-पर्यन्त कहना चाहिए ।। भगवन् ! कालादेश की अपेक्षा बहुत जीव सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! अनेक जीव कालादेस की अपेक्षा नियमतः सप्रदेश हैं । भगवन् ! नैरयिक जीव कालादेश की अपेक्षा क्या सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! १. सभी (नैरयिक) सप्रदेश हैं, २. बहुत-से सप्रदेश और एक अप्रदेश है, और ३. बहुत-से सप्रदेश और बहुत-से अप्रदेश हैं । इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक कहना चाहिए । भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव सप्रदेश भी हैं, अप्रदेश भी हैं । इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक तक कहना चाहिए ।
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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