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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
है, असंज्ञी बांधता है अथवा नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी बांधता है । गौतम ! संज्ञी कदाचित् बांधता है और कदाचित् नहीं बांधता । असंज्ञी बांधता है और नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी नहीं बांधता । इस प्रकार वेदनीय और आयुष्य को छोड़ कर शेष छह कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । वेदनीयकर्म को आदि के दो बांधते हैं, किन्तु अन्तिम के लिए भजना है आयुष्यकर्म को आदि के दो-जीव भजना से बांधते हैं | नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी जीव आयुष्यकर्म को नहीं बांधते ।
भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या भवसिद्धिक बांधता है, अभवसिद्धिक बांधता है अथवा नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक बांधता है ? गौतम ! भवसिद्धिक जीव भजना से बांधता है । अभवसिद्धिक जीव बांधता है और नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक जीव नहीं बांधता । इसी प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को नीचे के दो भजना से बांधते हैं । ऊपर का नहीं बांधता ।
भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या चक्षुदर्शनी बांधता है, अचक्षुदर्शनी बांधता है, अवधिदर्शनी बांधता है अथवा केवलदर्शनी बांधता है ? गौतम ! नीचे के तीन भजना से बांधते हैं किन्तु-केवलदर्शनी नहीं बांधता । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए । वेदनीयकर्म को निचले तीन बांधते हैं, किन्तु केवलदर्शनी भजना से बांधते हैं ।
भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को पर्याप्तक जीव बांधता है, अपर्याप्तक जीव बांधता है अथवा नोपर्याप्तक-नोअपर्याप्तक जीव बांधता है ? गौतम ! पर्याप्तक जीव भजना से बांधता है; अपर्याप्तक जीव बांधता है और नोपर्याप्तक-नोअपर्याप्तक जीव नहीं बांधता । इस प्रकार आयुष्यकर्म के सिवाय शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को निचले दो भजना से बांधते हैं । अंत का नहीं बांधतो ।
भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को भाषक जीव बांधता है या अभाषक ? गौतम ! दोनों भजना से बांधते हैं । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़ कर शेष सात के विषय में कहना। वेदनीयकर्म को भाषक बांधता है, अभाषक भजना से बांधता है ।
भगवन् ! क्या परित्त जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बांधता है, अपरित्त जीव बांधता है, अथवा नोपरित-नोअपरित जीव बांधता है ? गौतम ! परित्त जीव ज्ञानावरणीय कर्म को भजना से बाँधता, अपरित जीव बांधता है और नोपरित-नोअपरित जीव नहीं बांधता । इस प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को परित्त जीव भी और अपरित जीव भी भजना से बांधते हैं; नोपरित-नोअपरित जीव नहीं बांधते । भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म क्या आभिनिबोधिक ज्ञानी बांधता है, श्रुतज्ञानी बांधता है, अवधिज्ञानी बांधता है, मनःपर्यवज्ञानी बांधता है अथवा केवलज्ञानी बांधता है ? गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को निचले चार भजना से बांधते हैं; केवलज्ञानी नहीं बांधता । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए । वेदनीयकर्म को निचले चारों बांधते हैं; केवलज्ञानी भजना से बांधता है ।
भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को मति-अज्ञानी बांधता है, श्रुत-अज्ञानी बांधता है या विभंगज्ञानी बांधता है ? गौतम ! आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों को ये बांधते हैं । आयुष्यकर्म को ये तीनों भजना से बांधते हैं ।