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________________ श्री कमलबत्तीसी जी भूमिका मुक्ति सब जीव चाहते हैं, कोई भी जीव बंधन रूपदुःख में नहीं रहना चाहता। संसार में जन्म-मरण का दु:ख, चार गति चौरासी लाख योनियों का चक्कर, नाना प्रकार के कर्मोदय जन्म-मरण, अनुकूल-प्रतिकूल संयोग, शल्य, विकल्प, चिन्ता, भय, दु:ख-अनादि से जीव भोग रहा है। इन सबसे छूटना चाहता है पर इस अज्ञान, अंधकार से छुटने, मुक्त होने का उपाय मार्ग क्या है, इसका सम्यक् बोध न होने से अज्ञानी गुरूओं के जाल में फंसकर चक्कर लगा रहा है। सद्गुरूओं का सत्समागम मिले, अपने भीतर संसार से छटने की छटपटाहट हो, सही भावना और जिज्ञासा से मुक्त होने का मार्ग खोजा जाये तो मिलता है। सत्य कहो, धर्म कहो, वस्तु स्वरूप कहो, परमतत्व कहो,यह तो अनाद्यनिधन है,यह कहीं खोया नहीं है। सत्य को जानने समझने की खोज करने की भावना ही खो गई। जिन जीवों में यह जिज्ञासा जागती है उन्हें उसकी उपलब्धि होती है। संसार में सभी प्रकार के जीव हैं तथा ज्ञानी सद्गुरू भी समय-समय पर होते रहते हैं। सोलहवीं शताब्दी भारतीय इतिहास में संतयुग है। जिसमें आध्यात्मिक संत हुये हैं, वर्तमान में कलिकाल-पंचम काल होने से परमात्मा तो होते नहीं हैं, हैं नहीं। ज्ञानी संत महात्मा सदगुरू ही वर्तमान में मुक्त होने, परमात्मा बनने का मार्ग बताते हैं, स्वयं भी उसी मार्ग के पथिक होते हैं। इसी क्रम में विक्रम संवत् १५०५ मिति अगहन सुदी ७ को पुष्पावती नगरी में जन्मे जैन दर्शन के मर्मज्ञ, भगवान महावीर के अनुयायी वीतरागी संत श्री जिन तारण स्वामी हुए, जिन्होंने स्वयं संसार चक्र से छूटने के लिए सत्य धर्म का मार्ग अपनाया, स्वयं उस मार्ग पर चले और उसी सच्चे धर्म मार्ग, शुद्ध अध्यात्म की देशना, समस्त भव्य जीवों को दी। आपके साथी अनुयायी लाखों लोग सभी सम्प्रदाय के जीव हुए। उनमें श्री कमलबत्तीसी जी प्रमुख-रूइया रमन, कमलावती, विरउ ब्रह्मचारी, दयालप्रसाद आदि रहे हैं। एक दिन तत्व चर्चा में श्री कमलावती जी ने यह प्रश्न उठाया कि गुरूदेव! मुक्ति का मार्ग क्या है? क्योंकि संसार में धर्म के नाम पर भी नाना प्रकार के क्रिया कर्म होते हैं। ऐसे में जीव को मुक्ति का यथार्थ मार्ग क्या है ? जैन दर्शन में सम्यक्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग: कहा है पर वह है क्या, उसका वास्तविक स्वरूप क्या है, आपने श्री मालारोहण में सम्यक् दर्शन का स्वरूप,पंडित पूजा में सम्यक्ज्ञानी की साधना पद्धति बताई. वह भी समझ में आई, अब सम्यक्चारित्र क्या है, इसका सही स्वरूप बताने की कृपा करें, क्योंकि चारित्र के संबंध में बड़े विवाद हैं और उसमें ही उलझकर जीव सत्य वस्तु स्वरूप से भटक जाते हैं। यह नाना प्रकार के रूप, भेष, क्रिया-कांड,खान-पान आदि बाह्य आचरण में ही सारा जीवन लगा देते हैं इसके लिए आप सम्यक् मार्ग बतायें? मुक्ति का मार्ग सम्यक् चारित्र के स्वरूप को बताने के लिए सद्गुरू श्री जिन तारण स्वामी ने यह श्री कमलबत्तीसी का निरूपण किया है। जिसे समझकर मुमुझ जीव सही धर्म मार्ग पर चलकर अपना आत्म कल्याण मुक्ति की प्राप्ति कर सकते हैं। हे मोक्ष के अभिलाषी! मोक्ष मार्ग तो सम्यग्दर्शन, ज्ञान चारित्र स्वरूप है, यह सम्यग्दर्शन आदि शुद्ध भाव रूप मोक्ष मार्ग अन्तर्मुख प्रयत्न द्वारा सधता है, ऐसा भगवान का उपदेश है, भगवान ने स्वयं प्रयत्न द्वारा मोक्ष मार्ग साधा है और उपदेश में भी यही कहा है कि मोक्ष का मार्ग प्रयत्न साध्य है, इसलिए तू सम्यग्दर्शनादि शुद्ध भावों को ही मोक्ष का पथ जानकर सर्व उद्यम द्वारा उसको ही अंगीकार कर।
SR No.009717
Book TitleKamal Battisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanand Swami
PublisherBramhanand Ashram
Publication Year1999
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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