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प्रश्न - सिद्ध पदवी किसे कहते हैं? उत्तर - आठ कर्मों से रहित आत्मा की पूर्ण शुद्ध दशा को सिद्ध पदवी कहते हैं। सिद्ध स्वरूप की
प्रकटता होने के कारण मुक्त जीव को सिद्ध पदवी वाला कहा गया है। प्रश्न - पंच पदवी और पंच परमेष्ठी में क्या अंतर है? उत्तर आचार्य श्री जिन तारण स्वामी जी द्वारा विरचित श्री श्रावकाचार, ज्ञानसमुच्चयसार एवं
ममलपाहुड ग्रंथ के अनुसार पंच पदवी का कथन आत्मार्थी साधक के लिए आत्म साधना का पथ प्रशस्त करता है। श्री तारण तरण श्रावकाचार जी ग्रन्थ की गाथा ३२६ से ३३२ में अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु यह पंच परमेष्ठी, देव के पाँच गुणों के रूप में बतलाए गए हैं। यह पाँच परमेष्ठी पद पूज्यपने की अपेक्षा से कहे गये हैं । पंच पदवी का कथन
आत्म साधना की अपेक्षा से किया गया है। प्रश्न - आचार्य तारण स्वामी जी ने पंचार्थ,पंच पदवी और पंच परमेष्ठी का कथन किन ग्रन्थों
में किया है ? उत्तर - आचार्य श्री तारण स्वामी ने पंचार्थ का वर्णन श्री कमल बत्तीसीजी एवं भय षिपनिक ममलपाहुड
जी ग्रन्थ के नन्द आनन्द फूलना क्रमांक ५१ तथा अन्य फूलनाओं में किया है। पंच पदवी का वर्णन श्री भय षिपनिक ममलपाहुड जी ग्रन्थ के पदवी फूलना क्रमांक ६७ में तथा श्रावकाचार जी, ज्ञानसमुच्चयसार जी ग्रन्थ में विस्तार से किया है। पंच परमेष्ठी का वर्णन श्री श्रावकाचार जी, श्री कमलबत्तीसी जी तथा श्री ममलपाहुड जी ग्रन्थ में किया गया है।
अभ्यास के प्रश्न प्रश्न १- सही जोड़ी बनाइये(क) उत्पन्न अर्थ - शुद्ध स्वभाव में स्थिरता (ङ) । (ख) हितकार अर्थ - सिद्ध पद की प्रकटता (घ)। (ग) सहकार अर्थ- केवलज्ञान की प्रकटता (क)। (घ) जान अर्थ- स्वपर के यथार्थ बोधपूर्वक प्रयोजनीय ज्ञान (ग) । (ङ) पय अर्थ - प्रयोजनभूत शुद्धात्म स्वरूप की अनुभूति (ख)। प्रश्न २ - सही विकल्प चुनकर लिखिये। (क) मोक्षमार्ग में आत्मानुभूति की उत्तरोत्तर वृद्धिंगत अवस्थाओं का ज्ञान करती है - (अ) पदवी (ब) परमेष्ठी (स) गुणस्थान (द) सिद्ध (ख) आठ कर्मों से रहित आत्मा की पूर्ण शुद्ध दशा है - (अ) अरिहंत (ब) साधु (स) उपाध्याय (द) सिद्ध (ग) हितकार अर्थ का बीजाक्षर मंत्र है - (अ) ॐ (ब) हृीं (स) श्रीं (द) अर्ह प्रश्न ३- लघु उत्तरीय प्रश्न - (क) ॐ श्रीं हीं किसके वाचक मंत्र है ? (उत्तर स्वयं लिखें।) (ख) पंचार्थ को एक - एक वाक्य में स्पष्ट कीजिए। (उत्तर स्वयं लिखें।) प्रश्न ४-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - (क) पंचार्थ का स्वरूप चित्र, रेखाचित्र के माध्यम से स्पष्ट कीजिये। उत्तर - संलग्न चित्र में। (ख) पदवी का स्वरूप ममलपाहुड़ जी ग्रन्थ की ६७ वीं फूलना तथा श्रावकाचार, ज्ञान समुच्चयसार जी के अनुसार लिखिये। (उत्तर स्वयं लिखें।)