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अध्यात्मवाणी की रसमयता से गुरु की गुरुता ध्वनित होती है।
ज्ञान पुष्प का तीसरा पर्ण (अध्याय - ३) साधना श्री कमल बत्तीसी जी ग्रंथ के मर्म को प्रस्तुत करता है। जो निश्चित ही सम्यक्चारित्र को शब्द सिद्ध करता है। षट्लेश्या का सचित्र वर्णन सावधान करता हुआ ग्यारह प्रतिमाओं के आचरण में डूबकर मधुर कंठ स्वर में मुक्ति श्री फूलना के माध्यम से सर्वअर्थ सिद्धि की ओर ले जाता है।
ज्ञान पुष्प का चौथा पर्ण (अध्याय - ४) सिद्धांत मुक्ति पथ में दृढ़ता हेतु सत् स्वरूप प्रस्तुत करता है। पंडित गोपालदास जी वरैया द्वारा रचित श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका से द्रव्य - गुण- पर्याय तथा कर्म के स्वरूप को सैद्धांतिक रूप में ग्राह्य करने से जैनत्व के प्रति दृढ़ता सम्यक्त्व को उबुद्ध करेगी।
समग्रतः ज्ञान पुष्प की कोमलता मुक्ति पथ हेतु दृढ़ श्रद्धा जाग्रत करने में सक्षम होगी। परीक्षोपयोगी प्रश्न अभ्यास, विषयों पर प्रकाश डालते रंगीन चित्र, चार्ट, रेखाचित्र, शास्त्र सम्मत उद्धरण, अमृत वचन, विषयानुरूपसंपादित किये गये हैं। मॉडल प्रश्न-पत्र कठिनाईयों के निवारणार्थ प्रकाशित हैं।
ज्ञान पुष्प हृदय कमल की साधना का पर्याय बने इसलिए बा. ब्र. बसन्त जी ने अनथक परिश्रमपूर्वक जटिल सिद्धांतों को सारगर्भित रसमयता, रोचकता देने का प्रयास किया है। संपादकों ने आवश्यक पहलुओं को संशोधित कर सरलतम रूप देने का प्रयास किया है । तथापि त्रुटियाँ संभावित हैं। जिनका निदान सुधी पाठक, विद्वतजनों द्वारा अपेक्षित है। इस संपादन में अनेक कर्मठ हाथों, चितेरे चित्रकारों, विचारवान बौद्धिक मस्तिष्कों का बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ है। उसके लिए हम सभी के प्रति कृतज्ञ हैं।
डॉ. श्रीमती मनीषा जैन
उप प्राचार्य श्री तारण तरण मुक्त महाविद्यालय
छिंदवाड़ा (म.प्र.)