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________________ ६३ इस ग्रंथ में ३२०० गाथायें हैं, जो १६४ फूलनाओं में निबद्ध हैं। जिसे पढ़कर या सुनकर जीव आल्हादरूप परिणामों सहित आनंद विभोर हो जाए उसे फूलना कहते हैं । जिस प्रकार वर्तमान समय में हम भजन पढ़ते हैं, उसी प्रकार ममलपाहुड ग्रंथ में लिखी गई फूलना विभिन्न राग-रागनियों में पढी जाने वाली प्राचीन रचनायें हैं। जैसे भजनों में हर अंतरा के बाद टेक दोहराई जाती है, उसी प्रकार फूलनाओं में अचरी या आचरी होती है, जो हर गाथा के बाद दोहराई जाती है । इस ग्रंथ की १६४ फूलनाओं में ११५ फूलना - फूलना रूप हैं, १४ फूलना - छंद गाथा रूप हैं और ३५ फूलना - गाथा रूप है इस प्रकार १६४ फूलना तीन प्रकार की रचनाओं में विभाजित हैं। श्री भयषिपनिक ममलपाहुड ग्रंथ आत्म साधना की अनुभूतियों का अगाध सिंधु है । १६४ फूलनाओं में उपयोग को ममल स्वभाव में लीन करने की साधना के रहस्य निहित हैं। सम्यग्दर्शन ज्ञानपूर्वक, सम्यकदृष्टि ज्ञानी सम्यक्चारित्र के मार्ग में अग्रसर होता है, स्वभाव में लीन होने का पुरुषार्थ करता है, ज्ञानी साधक की चारित्र परक अंतरंग साधना इस ग्रंथ का मुख्य विषय है। अभ्यास के प्रश्न प्रश्न १ - रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए । (क) ..............अविरत सम्यक्दृष्टि के लिए कहा गया है। (ख) सम्यक्त्वाचरण और संयमाचरण चारित्र का पालन करना मत का अभिप्राय है । (ग) सारमत का अर्थ - भेदज्ञान................ पूर्वक अपनी सम्हाल करना है। (घ) उपदेश शुद्ध सार ग्रन्थ में (ङ) त्रिभंगीसार के प्रथम अध्याय में १०८ प्रकार से होने वाले प्रश्न २ सत्य / असत्य कथन चुनिये - - (क) त्रिभंगीसार, करणानुयोग का ग्रन्थ है । (सत्य / असत्य) (ख) चौबीसठाणा में ७१ गाथाएँ हैं । (सत्य / असत्य) (ग) " मिथ्याविली वर्ष ग्यारह" श्री छद्मस्थवाणी ग्रन्थ का सूत्र है । ( सत्य / असत्य) (घ) ममल का अर्थ है दुकाली शुद्ध ध्रुव स्वभाव | ( सत्य / असत्य) (ङ) ममल पाहुड़ की फूलनाओं में अचरी या आचरी हर गाथा के बाद दोहराई जाती है। (सत्य / असत्य) । प्रश्न ३ - लघु उत्तरीय प्रश्न ......गाथाएँ हैं । .......का विवेचन है । (क) चौबीसठाणा ग्रन्थ का विषय क्या है ? (उत्तर स्वयं लिखें ।) (ख) उपदेश शुद्ध सार ग्रन्थ की विषय वस्तु का परिचय दीजिए। (उत्तर स्वयं लिखें।) (ग) अचार मत क्या है ? (उत्तर स्वयं लिखें।) प्रश्न ४ - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - (क) आचार, सार ममलमत का परिचय देकर तीनों में अंतर बताइये। (उत्तर स्वयं लिखें।) (ख) सारमत अथवा ममलमत पर टिप्पणी लिखिए। (उत्तर स्वयं लिखें।)
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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