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एक व्यवहार पल्य से असंख्यात गुना बड़ा एक उद्धार पल्य होता है तथा एक उद्धार पल्य
से असंख्यात गुना बड़ा एक अद्धा पल्य होता है। प्रश्न २५५- मुहर्त किसे कहते हैं? उत्तर - अड़तालीस मिनिट का एक मुहूर्त होता है। प्रश्न २५६ - अन्तर्मुहूर्त किसे कहते हैं ? उत्तर - आवली से ऊपर और मुहूर्त से एक समय कम तक काल को अन्तर्मुहूर्त कहते हैं। प्रश्न २५७- आवली किसे कहते हैं? उत्तर - एक उच्छ्वास में संख्यात आवली होती हैं। प्रश्न २५८- उच्छवास काल किसे कहते हैं? उत्तर - नीरोगी पुरुष की नाड़ी के एक बार चलने के काल को उच्छ्वास काल कहते हैं। प्रश्न २५९- एक मुहूर्त में कितने उच्छ्वास होते हैं ? उत्तर - एक मुहूर्त में तीन हजार सात सौ तिहत्तर (३७७३) उच्छ्वास होते हैं।
२.३ अनुभागबन्ध, २.४ प्रदेशबन्ध प्रश्न २६०- अनुभागबन्ध किसे कहते हैं? उत्तर - कर्मों की फल देनेरूप हीनाधिक शक्ति को अनुभागबन्ध कहते हैं। प्रश्न २६१- प्रदेशबन्ध किसे कहते हैं? उत्तर - बंधने वाले कर्मों के परमाणुओं के परिमाण को प्रदेशबन्ध कहते हैं।
२.५ कर्मों की विभिन्न अवस्थाएँ प्रश्न २६२ - उदय किसे कहते हैं ? उत्तर - स्थिति के अनुसार कर्म के फल देने को उदय कहते हैं। प्रश्न २६३- उदीरणा किसे कहते हैं? उत्तर - स्थिति पूर्ण होने के पूर्व ही कर्म के फल देने को उदीरणा कहते हैं। प्रश्न २६४- उपशम किसे कहते हैं? उत्तर - द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव के निमित्त से कर्म की शक्ति का प्रगट नहीं होना उपशम
कहलाता है। प्रश्न २६५- उपशम के कितने भेद हैं? उत्तर - उपशम के दो भेद हैं - अन्तरकरणरूप उपशम और सदवस्थारूप उपशम । प्रश्न २६६- अन्तरकरणरूप उपशम किसे कहते हैं? उत्तर - आगामी काल में उदय आने योग्य कर्म परमाणुओं को आगे-पीछे उदय आने योग्य होने
को अन्तरकरणरूप उपशम कहते हैं । प्रश्न २६७- सदवस्थारूप उपशम किसे कहते हैं? उत्तर वर्तमान अवस्था को छोड़कर आगामी काल में उदय आने वाले कर्मों के सत्ता में रहने को
सदवस्थारूप उपशम कहते हैं ।