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________________ १८३ प्रश्न २६८- क्षय किसे कहते हैं? उत्तर - कर्म की आत्यन्तिक निवृत्ति को क्षय कहते हैं। प्रश्न २६९- क्षयोपशम किसे कहते हैं? उत्तर - किसी कर्म के वर्तमान निषेक में सर्वघाति स्पर्द्धकों का उदयाभावी क्षय तथा देशघाति स्पर्द्धकों का उदय और आगामी काल में उदय आने वाले कर्म के निषकों का सदवस्थारूप उपशम, ऐसी उस कर्म की अवस्था को क्षयोपशम कहते हैं। प्रश्न २७०- निषेक किसे कहते हैं? उत्तर - एक समय में कर्म के जितने परमाणु उदय में आते हैं उन सबके समूह को निषेक कहते हैं। प्रश्न २७१- स्पर्द्धक किसे कहते हैं ? उत्तर - अनेक प्रकार की अनुभाग शक्ति से युक्त कार्मण वर्गणाओं के समूह को स्पर्द्धक कहते प्रश्न २७२- वर्गणा किसे कहते हैं? उत्तर - वर्गों के समूह को वर्गणा कहते हैं। प्रश्न २७३ - वर्ग किसे कहते हैं? उत्तर - समान अविभाग प्रतिच्छेदों के धारक प्रत्येक कर्म परमाणु को वर्ग कहते हैं। प्रश्न २७४ - अविभाग प्रतिच्छेद किसे कहते हैं? उत्तर - शक्ति के अविभागी अंश को अविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं। प्रश्न २७५- इस प्रकरण में 'शक्ति' शब्द से कौन - सी शक्ति इष्ट है? उत्तर - यहाँ शक्ति शब्द से कर्मों की अनुभागरूप अर्थात् फल देने की शक्ति इष्ट है। प्रश्न २७६ - उदयाभावी क्षय किसे कहते हैं ? उत्तर - बिना फल दिये आत्मा से कर्म का सम्बन्ध छूटना उदयाभावी क्षय कहलाता है। प्रश्न २७७- उत्कर्षण किसे कहते हैं? उत्तर - कर्मों की स्थिति एवं अनुभाग का बढ़ना उत्कर्षण कहलाता है। प्रश्न २७८- अपकर्षण किसे कहते हैं? उत्तर - कर्मों की स्थिति एवं अनुभाग का घटना अपकर्षण कहलाता है। प्रश्न २७९- संक्रमण किसे कहते हैं? उत्तर - किसी कर्म का सजातीय एक भेद से दूसरे भेदरूप हो जाना संक्रमण कहलाता है। (प्रश्न - निधत्त किसे कहते हैं ?) उत्तर - जो कर्म उदयावली में आने तथा अन्य प्रकृतिरूप संक्रमण होने के योग्य नहीं होता है उसे निधत्त कहते हैं। (उत्कर्षण और अपकर्षण हो सकता है।) प्रश्न - निकाचित किसे कहते हैं? उत्तर - जो कर्म उदयावली में आने, अन्य प्रकृतिरूप संक्रमण होने तथा उत्कर्षण- अपकर्षण करने के योग्य नहीं होता है उसे निकाचित कहते हैं।) (- गोम्मटसार कर्मकाण्ड, जीवतत्व प्रदीपिका, ४४०) प्रश्न २८०- समयप्रबद्ध किसे कहते हैं? उत्तर - एक समय में जितने कर्म परमाणु और नोकर्म परमाणु बंधते हैं उन सबको समयप्रबद्ध कहते हैं।
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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