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________________ प्रश्न ०७४- अन्योन्याभाव किसे कहते हैं? उत्तर एक पुद्गलद्रव्य की वर्तमान पर्याय में दूसरे पुदगलद्रव्य की वर्तमान पर्याय के अभाव को अन्योन्याभाव कहते हैं। (समयसार ग्रंथ के हिन्दी टीकाकार पण्डित जयचन्दजी छाबड़ा कृत आप्तमीमांसा वचनिका, श्लोक ११ की टीका में लिखा है -'अन्य स्वभावरूप वस्तु तैं अपने स्वभाव का भिन्नपना, याकू इतरेतराभाव कहिए' अर्थात् अन्य स्वभावरूप वस्तु से अपने स्वभाव का भिन्नपना - इसको इतरेतराभाव कहते हैं। इतरेतराभाव का दूसरा नाम अन्योन्याभाव है।) (-जैनेन्द्र सिद्धांत कोश, भाग १, पृष्ठ १२८ के आधार पर) प्रश्न ०७५- अत्यंताभाव किसे कहते हैं ? उत्तर एक द्रव्य में दूसरे द्रव्य का जो अभाव होता है, उसे अत्यंताभाव कहते हैं। (प्रश्न - इन चार अभावों को समझने से क्या लाभ है ? उत्तर - (१) प्रागभाव को समझने से यह लाभ है कि किसी जीव ने यदि अनादिकाल से अज्ञान -मिथ्यात्वादि दोष किये हों, धर्म कभी नहीं किया हो तो भी वह जीव नवीन पुरुषार्थ से धर्म प्राप्त कर सकता है, क्योंकि वर्तमान पर्याय का पूर्व पर्याय में अभाव है। (२) प्रध्वंसाभाव को समझने से यह लाभ है कि यदि किसी जीव ने वर्तमान अवस्था में धर्म न किया हो तो भी वह जीव उस अधर्म दशा का तुरन्त अभाव करके नवीन पुरुषार्थ से धर्म प्राप्त कर सकता है। (३) अन्योन्याभाव को समझने से यह लाभ है कि एक पुद्गलद्रव्य की पर्याय, दूसरे पुद्गल की पर्यायों का कुछ भी नहीं कर सकती है अर्थात् एक-दूसरे को मदद, सहायता, असर या प्रेरणादि कुछ भी नहीं कर सकती। (४) अत्यन्ताभाव को समझने से यह लाभ है कि प्रत्येक द्रव्य में दूसरे द्रव्य का अभाव होने से कोई द्रव्य,अन्य द्रव्य की पर्यायों में कुछ भी नहीं करता अर्थात् सहायता, असर, मदद या प्रेरणा इत्यादि कुछ भी नहीं कर सकता। शास्त्र में जो कुछ अन्य में करने-कराने आदि का कथन है, वह घी के घड़े के समान मात्र व्यवहार का कथन है, सत्यार्थ नहीं है। चार अभावों के सम्बन्ध में ऐसी समझ करने से स्वसन्मुखता का पुरुषार्थ होता है यही सच्चा लाभ है।) (-लघु जैन सिद्धांत प्रवेशिका, प्रश्न १२३) १.८.२ जीव के अनुजीवी गुण प्रश्न ०७६ - जीव के अनुजीवी गुण कौन से है? उत्तर - चेतना, सम्यक्त्व, चारित्र, सुख, वीर्य, भव्यत्व, अभव्यत्व ,जीवत्व, वैभाविक, कर्तृत्व, भोक्तृत्व आदि अनन्त गुण अनुजीवी गुण हैं। १.८.३ जीव के प्रतिजीवी गुण प्रश्न ०७७ - जीव के प्रतिजीवी गुण कौन से हैं ? उत्तर - अव्याबाध, अवगाह, अगुरुलघु, सूक्ष्मत्व, नास्तित्व आदि अनन्त गुण प्रतिजीवी गुण हैं। १.८.४ जीव के अनुजीवी गुणों का विस्तृत विवेचन प्रश्न ०७८- चेतना किसे कहते हैं? उत्तर - जिसमें पदार्थों का प्रतिभास होता है, उसे चेतना कहते हैं। प्रश्न ०७९- चेतना के कितने भेद हैं? उत्तर - चेतना के दो भेद हैं - दर्शनचेतना और ज्ञानचेतना। प्रश्न ०८०- दर्शनचेतना किसे कहते हैं ? उत्तर - जिसमें महासत्ता (सामान्य) का प्रतिभास (निराकार झलक या अवभासन) होता है, उसे दर्शन चेतना कहते हैं।
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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