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प्रश्न ०१९- बन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर
अनेक वस्तुओं में एकपने का ज्ञान कराने वाले सम्बन्ध विशेष को बन्ध कहते हैं । प्रश्न ०२०- स्कन्ध के कितने भेद हैं?
उत्तर
स्कन्ध के आहारवर्गणा, तैजसवर्गणा, भाषावर्गणा, मनो वर्गणा, कार्माण वर्गणा आदि २३ भेद हैं।
आहारवर्गणा किसे कहते हैं ?
प्रश्न ०२१
उत्तर
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प्रश्न ०२२
उत्तर प्रश्न ०२३
उत्तर
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प्रश्न ०२४उत्तर
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प्रश्न ०२५उत्तर
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उत्तर
प्रश्न ०२८
जो पुद्गल स्कंध, तेजस शरीररूप परिणमित होते हैं, उन्हें तैजस वर्गणा कहते हैं।
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( प्रश्न तैजस शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर- औदारिक और वैक्रियिक शरीर को कान्ति देनेवाले शरीर को तैजस शरीर कहते हैं।) ल. जै. सि. प्र. प्र. १ प्रश्न ०२६- भाषावर्गणा किसे कहते हैं ?
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उत्तर
जो पुद्गलस्कन्ध, शब्दरूप परिणमित होते हैं, उन्हें भाषावर्गणा कहते हैं । प्रश्न ०२७- मनोवर्गणा किसे कहते हैं ?
जो पुद्गलस्कन्ध, द्रव्य मनरूप परिणमित होते हैं, उन्हें मनोवर्गणा कहते हैं। कार्मणवर्गणा किसे कहते हैं?
उत्तर
जो पुद्गलस्कन्ध, कार्मण शरीररूप परिणमते हैं, उन्हें कार्मणवर्गणा कहते हैं। प्रश्न ०२९- कार्मण शरीर किसे कहते हैं ?
ज्ञानावरणादि अष्ट कर्मों के समूह को कार्मण शरीर कहते हैं।
उत्तर प्रश्न ०३०- तैजस और कार्मण शरीर किसके होते हैं ?
उत्तर
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जो पुद्गलस्कन्ध या वर्गणा, औदारिक, वैक्रियिक और आहारक इन तीन शरीररूप तथा श्वासोच्छ्वासरूप परिणमित होते हैं उन्हें आहारवर्गणा कहते हैं। औदारिक शरीर किसे कहते हैं ?
मनुष्य और तियंच के स्थूल शरीर को औदारिक शरीर कहते हैं। वैक्रियिक शरीर किसे कहते हैं ?
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जो छोटे - बड़े, एक - अनेक, पृथक् - अपृथक् आदि विचित्र क्रियाओं को कर सकता है ऐसे देव और नारकियों के शरीर को वैक्रियिक शरीर कहते हैं।
आहारक शरीर किसे कहते हैं ?
छटवें गुणस्थानवर्ती मुनि को तत्त्वों के सम्बन्ध में कोई शंका होने पर केवली या श्रुतकेवली के पास जाने के लिए मस्तक में से जो एक हाथ का स्वच्छ, सफेद, सप्तधातुरहित पुरुषाकार पुतला निकलता है उसे आहारक शरीर कहते हैं। तैजसवर्गणा किसे कहते हैं ?
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तेजस और कार्मण शरीर सभी संसारी जीवों को होते हैं ।
( प्रश्न एक जीव के एक साथ कितने शरीर हो सकते हैं ?
उत्तर- एक जीव के एकसाथ कम से कम दो और अधिक से अधिक चार शरीर हो सकते हैं। विग्रहगति में तैजस और कार्मण, मनुष्य और तिर्यंच के औदारिक, तैजस और कार्मण, देवों और नारकियों के वैक्रियक, तैजस और कार्मण; तथा आहारक ऋद्धिधारी मुनि के औदारिक, आहारक, तैजस और कार्मण शरीर होते हैं ।)
(- लघु जैन सिद्धांत प्रवेशिका, प्रश्न ३५)