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________________ मॉडल एवं अभ्यास के प्रश्न द्वितीय वर्ष (परिचय) प्रश्न पत्र - श्री कमल बत्तीसी जी अभ्यास के प्रश्न - गाथा १ से १६ शुद्ध स्पष्ट लेखन पर अंक दिए जावेंगे । समय - ३ घंटा नोट: सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है। प्रश्न १ रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए पूर्णांक १०० ( अंक २x५ = १०) (क) रत्न के समान..... विमल ज्ञान का धारी ममल स्वरूप है । (ख) .....की गहराई में जाने से आत्मा के दर्शन होते हैं। (ग) सर्वोत्कृष्ट महिमा का भंडार चैतन्य देव अनादि अनन्त परम .... भाव में स्थित है। (घ) जो भव्य जीव तीन प्रकार के मिथ्यात्व भाव को जीतता है, उसकी कर्मोदय जनित विभाव रूप क्षणभंगुर. जाती है। (ङ) यह शरीर मैं हूँ, यह शरीरादि मेरे हैं, मैं इन सबका कर्ता हूँ यही................ है । प्रश्न २ - सत्य / असत्य कथन लिखिए - ( अंक २x५ = १०) (क) ज्ञानमार्ग में आत्मबल, ज्ञानबल सहकारी होता है। (ख) कर्म स्वभाव से क्षय होने वाले हैं। (ग) पंच परावर्तन रूप संसार में परिभ्रमण कराने वाले रागादि भाव सदा बने रहते हैं। (घ) संसारी जीवों को प्रसन्न करना जनरंजन राग भाव आत्महितकारी है। (ङ) सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक् चारित्रमयी शुद्ध स्वभाव ही निश्चय से देव और परमदेव है। प्रश्न ३ - सही विकल्प चुनकर लिखिये (क) एक ही समय में जानने और परिणमन करने के कारण आत्मा को ........ कहते हैं । - (१) शुद्धात्मा (१) सरल (ख) सम्यक्चारित्र का मार्ग......... है । (ग) जो विभावों को नहीं बदलता, निज स्वभाव में रहता है (१) भाव (२) परभाव (घ) ममल स्वसमय का सहकार करने से छूटता है - ( १ ) अब्रह्म भाव ( २ ) कर्त्तत्त्व (ङ) जितना राग का अंश है वह शुभाशुभ भाव होने से कारण है(१) राग का प्रश्न ४ - सही जोड़ी बनाइये - स्तंभ क चितवन आनंद अनुमोदना सहकार मैं शरीर हूँ (२) चैतन्य (२) कठिन स्वसमय चिदानंद स्वभाव १३४ ममल स्वभाव ज्ञायक भाव (३) समय (३) सूक्ष्म ( अंक २x५ = १०) .. गल (४) ममल (४) स्थूल (२) पुण्य का (३) धर्म का (४) बंध का स्तंभ- ख ( अंक २x५ = १०) मिष्याभाव (३) विभाव (४) अभाव (३) अप्रमेयत्व (४) प्रमेयत्व प्रश्न ५ - अति लघु उत्तरीय प्रश्न (३० शब्दों में) ( अंक ४ x ५ = २० ) (क) मिथ्यात्व कषाय कर्मादि को जीतने का मूल आधार क्या है ? (ख) पर्याय में शुद्धता कैसे प्रगट होती है ? (घ) चार विकथा, सात व्यसनों के नाम लिखिए। (ग) आत्मा जिन परम जिन है, इसका क्या अभिप्राय है ? (ङ) चिदानंद चिंतवनं का आशय क्या है इसका क्या लाभ है ? प्रश्न ६ - लघु उत्तरीय प्रश्न (५० शब्दों में कोई पाँच) ( अंक ६x ५ = ३०) (ख) जनरंजन राग, कलरंजन दोष, मनरंजन गारव को समझाइये। (क) क्या सम्यक्चारित्र भी बंध का कारण है ? (ग) कर्म के बंध और निर्जरा में मूल कारण क्या है ? (घ) तिअर्थ का अभिप्राय तारण स्वामी के अनुसार लिखिए । (ङ) पर्याय गलने और कर्म क्षय होने में क्या अंतर है ? इस विषय पर तारण स्वामी ने कौन से दो सूत्र दिये हैं ? प्रश्न ७ - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( अंक १x१० = १० ) (क) कमल बत्तीसी की गाथा १ से १६ का सारांश लिखिये । आवश्यक पंक्तियाँ भी लिखिये ।
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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