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________________ प्रश्न १ रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए । - (क) ...............गुणस्थानवर्ती श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएँ या श्रेणियाँ होती हैं । (ख) ये प्रतिमाएँ संसार के का क्षय करने वाली और (ग) इन प्रतिमाओं में क्रमशः बढ़ता जाता है। (घ) निज शुद्ध चैतन्य प्रतिमा का दर्शन ही ............... प्रतिमा है । प्रश्न २ सही विकल्प चुनिये । - प्रश्न ३ सही जोड़ी बनाइये - - (१) पापों के एकदेश त्याग को कहते हैं । (अ) अणुव्रत (ब) शिक्षाव्रत (स) शुद्धव्रत (द) महाव्रत । (२) गृहस्थी के कार्यों में न चाहते हुए भी होने वाली हिंसा को कहते हैं । (अ) संकल्पी हिंसा (ब) उद्योगी हिंसा ( स ) आरंभी हिंसा (३) अपने से भिन्न पर पदार्थों में ममत्व बुद्धि को कहते हैं । (अ) क्रोध (ब) हिंसा (स) परिग्रह (द) अहिंसा । । (द) चोरी | - सत् अपलाप हिंसा में धर्म बताना असत् का उद्भावन निंदनीय, कलहकारक वचन। अन्यथा प्ररूपण अविद्यमान को विद्यमान कहना। गर्हित वचन विधमान को अविद्यमान कहना । - प्रश्न ४ लघु उत्तरीय प्रश्न - अभ्यास के प्रश्न - - - (क) सामायिक प्रतिमा क्या है ? बताइये । (उत्तर स्वयं लिखें) (ख) अनुराग भक्ति प्रतिमा किसे कहते हैं ? (उत्तर स्वयं लिखें) प्रश्न ५- अंतर बताइये (क) ब्रह्मचर्य प्रतिमा और ब्रह्मचर्याणुव्रत (ख) अणुव्रत, गुणव्रत और शिक्षाव्रत (ग) सामायिक शिक्षाव्रत और सामायिक प्रतिमा । प्रश्न ६ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - - ......झलकाने वाली हैं । ११५ (क) ग्यारह प्रतिमाओं के नाम लिखकर किन्हीं दो प्रतिमाओं का स्वरूप समझाइये । (उत्तर स्वयं लिखें) (ख) व्रत प्रतिमा का स्वरूप समझाइये । (उत्तर स्वयं लिखें ) (ग) प्रतिमा और व्रत में क्या अंतर है ? विस्तार से समझाइये। (उत्तर स्वयं लिखें)
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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