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________________ प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर जो श्रावक एकेन्द्रिय जीव सहित हरित वनस्पति को नहीं खाता व कच्चे अप्राशुक पानी को नहीं पीता । सूखी, बनाई हुई, छिन्न-भिन्न की गई व लवणादि से मिली हुई वनस्पति को तथा प्राशुक गर्म जल को ही ग्रहण करता है वह सचित्त त्याग प्रतिमाधारी है। सार सिद्धांत - चित्त को चैतन्य स्वभाव में लगाना, अंतर में निरंतर सावधान रहना ही सचित्त (त्याग) प्रतिमा है । अनुराग भक्ति प्रतिमा किसे कहते हैं ? परम भक्ति व परम प्रेम जिसका निज आत्मा के चिंतवन में हो वही अनुराग भक्ति प्रतिमाधारी है। प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर - - II - - - - II - - │ - - - ११४ सार सिद्धांत रागादि विकारों का परित्याग कर आत्मा में वास करना प्रोषधोपवास है। सचित्त त्याग प्रतिमा किसे कहते हैं ? - - सार सिद्धांत - आत्मा में परमात्मा को देखना ही अनुराग भक्ति प्रतिमा है । ब्रह्मचर्य प्रतिमा किसे कहते हैं ? जो श्रावक मन, वचन, काय, कृत, कारित, अनुमोदना से संपूर्ण स्त्रियों को कभी नहीं भोगता वह ब्रह्मचर्य प्रतिमाधारी है । सार सिद्धांत - चैतन्य ब्रह्म की अनुभूति सहित ब्रह्म स्वभाव के आनंद का भोग करना ही ब्रह्मचर्य प्रतिमा है। आरंभ त्याग प्रतिमा किसे कहते हैं ? जो श्रावक प्राणीघात के कारणभूत कार्य, कृषि, व्यापार आदि आरंभ से विरक्त होता है वह आरंभ त्याग प्रतिमाधारी है। सार सिद्धांत शुद्धात्म स्वरूप के अनुभव में निरंतर उद्यमी रहना आरंभ त्याग प्रतिमा है। परिग्रह त्याग प्रतिमा किसे कहते हैं ? - जो बाहरी क्षेत्र, मकान आदि दस प्रकार के परिग्रह की ममता को छोड़कर कुछ वस्त्र और बर्तन रखकर शेष परिग्रह को त्याग कर विरक्त हो जाते हैं और परम श्रद्धा से आत्मा के ध्यान में लीन रहते हैं वह परिग्रह त्याग प्रतिमाधारी हैं। सार सिद्धांत - आत्मा के अनंतगुणों में रत रहना परिग्रह त्याग प्रतिमा है । अनुमति त्याग प्रतिमा किसे कहते हैं ? जो श्रावक किसी को लौकिक कार्यों की सम्मति नहीं देता, केवल धर्मोपदेश देता है तथा स्वयं आत्मिक भावों में रत रहता है वह अनुमति त्याग प्रतिमाधारी है। सार सिद्धांत परभावों से विरक्ति और स्वभाव में अनुरक्ति अनुमति त्याग प्रतिमा है। उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा किसे कहते हैं ? जो अपने निमित्त से बनाये हुए आहार को ग्रहण नहीं करता है। जो आहार गृहस्थों ने अपने कुटुम्ब के लिये बनाया हो उसी में से भिक्षा द्वारा मिलने पर लेता है वह उद्दिष्ट त्याग प्रतिमाधारी श्रावक है। ग्यारहवीं प्रतिमा में क्षुल्लक ऐलक ऐसे उत्कृष्ट श्रावक दो भेद रूप होते हैं। - • सार सिद्धांत - रागादि भावों को समूल नष्ट करके वीतराग भावों का वृद्धिंगत होना ही उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा है।
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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