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प्रश्न १
१०९
६. 'सुक्काए सासयं ठाणं' शुक्ल लेश्या वाला जीव शाश्वत सिद्ध पद को प्राप्त करता है। गतियों में लेश्या का सामान्य कथन सामान्य रूप से मनुष्य और पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों को छहों लेश्याएं होती हैं। नरक गति में अशुभ लेश्यायें तथा देव गति में शुभ लेश्यायें होती हैं। इस प्रकार चारों गतियों के जीवों को शुभ-अशुभ लेश्यायें होती है।
अरिहन्त और सिद्ध भगवान की लेश्या -
अरिहन्त भगवान की एकमात्र परम शुक्ल लेश्या होती है और सिद्ध भगवान आठों कर्मों से रहित होने से लेश्या रहित होते हैं।
लेश्याओं को जानने का प्रयोजन
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शुभ अशुभ लेश्या रूप परिणामों के द्वारा पुण्य पाप कर्मों का बंध होता है। जिससे जीव संसार में परिभ्रमण करता है। आयु के त्रिभाग में शुभ-अशुभ लेश्या रूप भाव होते हैं, उन भावों के अनुसार
आगामी गति का बंध होता है; इसलिए निरंतर अपने भावों की संभाल करना चाहिए तथा रत्नत्रय को धारण करके कर्म बंधनों से मुक्त होने का पुरुषार्थ करना चाहिए, लेश्याओं को जानने का यही प्रयोजन है ।
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प्रश्न २ रिक्त स्थानों की पूर्ति करो।
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सत्य / असत्य कथन चुनिये ।
(क) प्रशंसा स्तुति करने वाले पर धन लुटा देने वाला कापोत लेश्या वाला जीव है।
(ख) लाभ - हानि में राग - द्वेष करना पीत लेश्या का लक्षण है।
(ग) कृष्ण लेश्या वाला जीव काले रंग का होता है।
(घ) पीत लेश्या वाला जीव मनुष्य होता है।
प्रश्न ३ (अ) परिभाषाएँ लिखिये
(क) कृष्ण लेश्या वाला जीव वृक्ष को जड़ से काटकर गिराना चाहता है ।
(ख) परमात्म स्वरूप की निरंतर भावना भानालेश्या वाले जीव का लक्षण है।
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(ग) निरंतर सत्कार्य करने में तत्पर जीव लेश्या वाला होता है ।
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प्रश्न ४ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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अभ्यास के प्रश्न
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(क) लेश्या (ख) कृष्ण लेश्या (ग) पीत लेश्या (घ) पद्म लेश्या (ङ) शुक्ल लेश्या ।
(ब) अंतर बताइये
(क) कृष्ण और कापोत लेश्या ( ख ) शुक्ल और पद्म लेश्या (ग) पीत और पद्म लेश्या ।
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(क) लेश्याओं को उदाहरण द्वारा समझाइये। (उत्तर स्वयं लिखें )
(ख) लेश्याओं का स्वरूप बताते हुए समझाइये कि इन्हें जानने का क्या प्रयोजन है ? (उत्तर स्वयं लिखें)