________________
अभ्यास के प्रश्न - गाथा १७ से ३२ प्रश्न १ - सत्य/असत्य कथन चुनिये।
(क) जिन्हें आत्मानुभूति पूर्वक सम्यग्ज्ञान हुआ है, उन्हें पर की ओर देखने का भाव नहीं होता। (ख) सम्यग्दर्शन होने के लिए आत्म स्वभाव की रुचि होना आवश्यक नहीं है। (ग) सम्यक्दृष्टि ज्ञानी समयक्त्व के २५ दोषों में से २० दोषों से रहित होते हैं।
(घ) पंडितो पूज आराध्यं, जिन समयं च पूजते। प्रश्न २- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये।
(अ) ज्ञानीजन शुद्ध चिदानंदमयी...........की स्तुति उच्चारण करते हैं। (ब) शुद्ध स्वभाव की साधना करना ही सच्ची.............है।। (स) देह में आत्म बुद्धि, पर द्रव्य में ...............बुद्धि , शुभ भावों में धर्म बुद्धि संसार परिभ्रमण
का कारण है।
(द) जिसके लक्ष्य में शुद्ध सम्यक्त्व है, ऐसा सम्यक्ज्ञानी सच्चा दाता होता है। प्रश्न ३-निम्नलिखित में कोई पाँच परिभाषाएँ लिखिये।
१. निश्चय दान - व्यवहार दान (गाथा २७)। २. मिथ्यादृष्टि - सम्यक्दृष्टि (गाथा ३०)। ३. लोक मूढता, पाखंड मूढ़ता, देव मूढ़ता (गाथा १९)। ४. ज्ञानी का चैतन्य भासन (गाथा १७)। ५. ज्ञानी का देव दर्शन (गाथा २१)।
६. शुद्ध दृष्टि की पूजा (गाथा २८) प्रश्न ४ - अति लघुउत्तरीय प्रश्न -
(क) अंतरशोधन का मार्ग क्या है ? (उत्तर स्वयं लिखें) (ख) ज्ञानी का दर्शनोपयोग किस प्रकार निर्मल होता है ? (उत्तर स्वयं लिखें) (ग) ज्ञानी किस प्रकार देव दर्शन करते हैं ? (उत्तर स्वयं लिखें)
(घ) ज्ञानी की जगत के जीवों के प्रति कैसी दृष्टि होती है ? (उत्तर स्वयं लिखें) प्रश्न ५ - लघुउत्तरीय प्रश्न -
(क) दातारो दान सुद्धं च, पूजा आचरन संजुतं (गाथा २७) के आधार पर सम्यक्ज्ञानी के दान
का संक्षिप्त स्वरूप बताइये । (उत्तर स्वयं लिखें) (ख) जिनवाणी में मोक्षमार्ग का कथन किस प्रकार किया गया है ? (उत्तर स्वयं लिखें)
(ग) सात तत्त्व नौ पदार्थ आदि में आत्म श्रद्धान किस प्रकार करना चाहिये?(उत्तर स्वयं लिखें) प्रश्न ६-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न -
(क) पंडित पूजा जी ग्रन्थ के आधार पर सम्यग्ज्ञान का स्वरूप समझाइये। (उत्तर स्वयं लिखें)