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श्री मालारोहण जी प्रश्न २- ज्ञान गुणमाला की महिमा सुनकर राजा श्रेणिक ने क्या किया? उत्तर - राजा श्रेणिक ज्ञान गुण माला की महिमा सुनकर अत्यंत प्रसन्न आनन्दित हुए और उनकी
भावना हुई कि यह रत्नत्रय मालिका मैं ले लूँ। चूंकि क्षायिक सम्यक्त्व उनके हृदय में आनन्द की उर्मियाँ जाग्रत कर रहा था, उनका रोम-रोम आत्मानुभूति से आप्लावित था। सम्यक् श्रद्धा, भक्ति से ओतप्रोत वे सम्यक् चारित्र धारण करने की प्रबल भावना से प्रश्न पूछ रहे थे। उन्होंने बड़ी विनय भक्ति पूर्वक भगवान की तीन प्रदक्षिणायें देकर कहा-कि प्रभो ! यह
रत्नत्रय मालिका मुझे दे दो। प्रश्न ३- भगवान महावीर स्वामी ने क्या कहा? उत्तर - भगवान महावीर स्वामी ने कहा कि हे राजा श्रेणिक ! यह रत्नत्रय मयी ज्ञान गुण माला माँगने
से नहीं मिलती। यह कोई सामान्य वस्तु नहीं है। प्रश्न ४- राजा श्रेणिक ने क्या विचार किया और भगवान से क्या पूछा? उत्तर - राजा श्रेणिक ने विचार किया कि यह ज्ञान गुण माला तो कोई विशेष वस्तु है । यह किसे
मिलेगी? प्रश्नों के अधिष्ठाता राजा श्रेणिक पुनः प्रश्न करते हैं कि यह ज्ञान गुणों की माला कौन प्राप्त कर सकता है ? क्या इन्द्र ? क्या धरणेन्द्र ? क्या गंधर्व ? क्या यक्ष? क्या चक्रवर्ती ? क्या विद्याधर ? कामदेव या और कोई अन्य। चूंकि सांसारिक दृष्टि से श्रेष्ठ पद ये ही हैं। इस संदर्भ में अगली गाथा अवतरित होती है।
गाथा-२० पुन: प्रश्न-गुणमाला प्राप्ति की प्रबल जिज्ञासा किं दिप्त रत्नं बहुविहि अनंत, किं धन अनंतं बहुभेय जुक्तं ।
किं तिक्त राज बनवास लेत्वं,किं तव तवेत्वं बहविहि अनंतं ॥ अन्वयार्थ-(कि) क्या [जिनके पास] (बहुविहि) बहुत प्रकार के (अनंत) अनन्त (दिप्त रत्न) प्रकाशित रत्न हैं (कि) क्या [जो] (बहुभेय) बहुत प्रकार के (अनंत) अनन्त (धन) धन से (जुक्त) युक्त हैं, सम्पन्न हैं (किं) क्या [जिन्होंने (राज) राज्य को (तिक्त) छोड़कर, त्यागकर (बनवास लेत्वं) वनवास ले लिया है (किं) क्या [जो] (बहुविहि) बहुत प्रकार से (अनंत) अनेक प्रकार का (तव तवेत्व) तप तपते हैं क्या उन्हें यह ज्ञान गुणमाला मिलेगी ?
अर्थ- जिनके पास बहुत प्रकार के अनन्त प्रकाशित रत्न हैं? क्या वे इसे प्राप्त करेंगे? जो बहुत प्रकार के धन से संपन्न हैं या जिन्होंने राज्य को त्यागकर वनवास ले लिया है अथवा जो अनेक प्रकार से बहुत तपस्या करते हैं ? क्या उन्हें यह ज्ञान गुणमाला प्राप्त होगी? प्रश्न १- इस गाथा के प्रश्नों को स्पष्ट कीजिये? उत्तर - राजा श्रेणिक पूछते हैं कि यह रत्नत्रयमयी ज्ञान गुण माला क्या उनको मिलेगी-जिनके पास
बहुत प्रकार के हीरे जवाहरात आदि प्रकाशित अनेक रत्न हैं? क्या उनको मिलेगी, जो कुबेरों के समान बहुत प्रकार की धन राशि के स्वामी हैं? क्या जिनने राज्य का त्याग करके वनवास ले लिया, बाह्य वेष बना लिया है उनको मिलेगी? जो बहुत प्रकार से तपस्या करते हैं, क्या उनको यह रत्नत्रय मालिका मिलेगी?