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________________ श्री मालारोहण जी ६४ मॉडल एवं अभ्यास के प्रथम वर्ष (परिचय) प्रश्न प्रश्न पत्र - श्री मालारोहण समय -३ घंटा अभ्यास के प्रश्न - गाथा १ से १६ पूर्णांक - १०० नोट : सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है। शुद्ध स्पष्ट लेखन पर अंक दिए जावेंगे। प्रश्न १ - रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए - (अंक २४५=१०) (क) परिपूर्ण अतीन्द्रिय आनन्दमय दशा को प्राप्त करने में कारणभूत नियामक कारणों को कहते हैं। (ख) पंचपरमेष्ठी .................का अनुभव करते हैं। (ग) सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र की श्रेणियों पर चढ़ना................है। (घ) सम्यक्दृष्टि सच्चे....................है। (ङ) अपने आत्मस्वरूप के अनुभव प्रमाण बोध होना ही................है। प्रश्न २ - सत्य/असत्य कथन लिखिए - (अंक २ x ५=१०) (क) केवली भगवान लोकालोक को जानते हैं आत्मा को नहीं, ऐसा कहें तो असंभव दोष आयेगा। (ख) शरीर अनंत गुण वाला है। (ग) तत्त्व तो दृष्टि का विषय है। (घ) सामायिक आदि के काल को टाल कर स्वाध्याय करना चाहिये। (ङ) पंडित पूजा जी षट् आवश्यक का यथार्थ स्वरूप बताने वाला ग्रंथ है। प्रश्न ३- सही विकल्प चुनकर लिखिये - (अंक २ x ५=१०) (क) मोक्ष का सुख कैसा है- (१) क्षणिक (२) इंद्रियातीत (३) शरीर सहित (४) वैभव सहित (ख) समस्त द्रव्यों को युगपत् जानते हैं- (१) संसारी (२) मुनि (३) आचार्य (४) केवलज्ञानी (ग) प्रयोजनभूत तत्त्व हैं (१) परमात्मा (२) आत्मा (३) अंतरात्मा (४) शुद्धात्मा (घ) वस्तु के स्वभाव को कहते हैं- (१) तत्त्व (२) पदार्थ (३) द्रव्य (४) अस्तिकाय (ङ) "दव्वं दव्व सहावं" प्रतीक है- (१) पुद्गल (२)आकाश का (३) धर्म का (४) जीवद्रव्य का प्रश्न ४ - सही जोड़ी बनाइये- स्तंभ-क स्तंभ-ख (अंक २४५=१०) मद्य मांस मधु मूलगुण बड़पीपल इंद्रिय ईर्या, भाषा मकार रसना, घ्राण उम्बर भूमिशयन समिति प्रश्न ५ - अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (३० शब्दों में कोई पाँच) (अंक ४x ५= २०) (क) प्रतिमा तथा व्रताचरण के निरतिचार पालन करने का क्या फल है? (ख) तत्त्व पदार्थ द्रव्य अस्तिकाय का क्या स्वरूप है? (ग) केवलज्ञान की क्या विशेषता है? (घ) मोक्ष का सुख और शुद्ध सम्यक्त्व क्या है? (ङ) संसार किसे कहते हैं? (अथवा) तीसरी गाथा में आचार्य महाराज ने कौन से पाँच सूत्र दिये हैं? प्रश्न ६ - लघु उत्तरीय प्रश्न (५० शब्दों में कोई पाँच) (अंक ६४५= ३०) (१) मालारोहण का क्या अर्थ है ? (२) अनंत चतुष्टमय आत्मा की सत्ता है तो प्रगट क्यों नहीं है ? (३) उवंकार में पंच परमेष्ठी किस प्रकार गर्भित है? (४) शुद्ध सम्यक्त्व की माला गूंथने का क्या पुरुषार्थ है ? (५) "पंडिमाय ग्यारा तत्त्वानिपेषं" का अर्थ स्पष्ट कीजिए? (६) शुद्धात्म तत्त्व इंद्रिय गम्य क्यों नहीं है? शुद्धात्म तत्त्व की अनुभूति का लक्षण क्या है ? प्रश्न ७ - दीघ्र उत्तरीय प्रश्न - (कोई एक) (अंक १x १० = १०) (क) टिप्पणी लिखिए - १. तारण स्वामी के ग्रंथों में धर्म का स्वरूप २. सम्यग्दर्शन के २५ दोष। (ख) टिप्पणी लिखिए - १. मूलगुण २. प्रतिमा एवं व्रत (ग) पंचहत्तर गुणों के भेद एवं उसका देव आराधना से क्या संबंध है? स्पष्ट कीजिए।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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