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________________ ज्ञान विज्ञान भाग -२ बंध का ज्ञान, कर्म सिद्धांत की जानकारी, अपने परिणामों की संभाल करने की प्रेरणा तथा कर्म रहित चैतन्य स्वरूप की पहिचान का यथार्थ मार्ग करणानुयोग के स्वाध्याय से प्रशस्त होता है। प्रश्न - चरणानुयोग किसे कहते हैं और इसमें कौन-कौन से ग्रन्थ हैं ? उत्तर - जिसमें श्रावक और मुनि के चारित्र का वर्णन होता है उसे चरणानुयोग कहते हैं। तारण तरण श्रावकाचार, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, भगवती आराधना, मूलाचार, उपासकाध्ययन, पुरुषार्थ सिद्धि उपाय, श्रावक स्वरूप, श्रावक धर्म प्रदीप आदि चरणानुयोग के ग्रन्थ हैं। प्रश्न - चरणानुयोग के स्वाध्याय से क्या लाभ है? उत्तर - पाप-पुण्य का ज्ञान, पापों से अरुचि, संयम, नियम में रुचि, अहिंसामय आचरण, विवेक पूर्ण चर्या एवं आत्मा से परमात्मा होने के लिये शुद्धोपयोग की साधना का बोध चरणानुयोग के स्वाध्याय से होता है ? प्रश्न - द्रव्यानुयोग किसे कहते हैं, इसमें कौन-कौन से ग्रन्थ हैं? उत्तर - जिसमें सात तत्त्व, नौ पदार्थ, छह द्रव्य, पंचास्तिकाय का वर्णन हो तथा आत्म स्वरूप की प्राप्ति का मार्ग बताया गया हो उसे द्रव्यानुयोग कहते हैं। ज्ञान समुच्चय सार, उपदेश शुद्ध सार, ममल पाहुड़, समय सार, प्रवचन सार, नियम सार, परमात्म प्रकाश, योगसार आदि द्रव्यानुयोग के ग्रन्थ हैं। प्रश्न - जिनवाणी का चार अनुयोग रूप भेद हो जाने से क्या चारों अनुयोगों का लक्ष्य अलग-अलग नहीं हो जाता? उत्तर - जिस प्रकार एक भवन में चारों ओर चार दरवाजे हों और भवन के बीचों-बीच रत्न रखा हो तो किसी भी दरवाजे से प्रवेश कर रत्न प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार जिनवाणी रूपी श्रुत ज्ञान भवन के चार दरवाजे हैं जिनका लक्ष्य अपने चैतन्य रत्न की प्राप्ति कराने का है। वस्तु स्वरूप को सरलता पूर्वक समझने के लिये जिनवाणी के चार अनुयोग के स्वाध्याय द्वारा अपने चैतन्य स्वरूप को प्राप्त कर सकते हैं इसलिये चारों अनुयोगों का लक्ष्य एकमात्र स्वरूप की प्राप्ति कराने का है। प्रश्न - चारों अनुयोगों की कथन पद्धति को किसी उदाहरण द्वारा समझाइये? उत्तर - एक जिज्ञासु ने पद्मपुराण का स्वाध्याय किया और उसमें पढ़ा कि लक्ष्मण ने रावण को मारा' जिज्ञासु ने एक दिन प्रथमानुयोग से पूछा- क्या लक्ष्मण ने रावण को मारा था ? प्रथमानुयोग ने कहा - हाँ, लक्ष्मण ने रावण को मारा था। जिज्ञासु को और विशेषता से जानने की इच्छा हुई तो उसने एक दिन चरणानुयोग से पूछा कि - क्या लक्ष्मण ने रावण को मारा था ? चरणानुयोग ने कहा- लक्ष्मण ने रावण को मारने का पाप भाव किया था। जिज्ञासु को और अधिक जिज्ञासा जाग गई फिर उसने करणानुयोग से वही प्रश्न किया, करणानुयोग ने कहा कि - लक्ष्मण तो निमित्त मात्र था, रावण अपनी आयु पूर्ण होने से मरा था । जिज्ञासु की जिज्ञासा और प्रबल हो गई और उसने फिर वही प्रश्न एक दिन द्रव्यानुयोग से पूछा, तब द्रव्यानुयोग ने कहा- कोई किसी को मार नहीं सकता क्योंकि वस्तु सत्स्वरूप है इसलिये रावण मरा नहीं है। रावण के जीव का दूसरी पर्याय में परिवर्तन हुआ है। इस प्रकार एक ही
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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