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________________ ज्ञान विज्ञान भाग -२ पाठ - ९ अनुयोग परिचय प्रश्न - अनुयोग किसे कहते हैं और वे कितने होते हैं? उत्तर - जिनवाणी को जिसके माध्यम से समझा जाये, उसे अनुयोग कहते हैं। अनुयोग चार होते हैं प्रथमानुयोग करणानुयोग चरणानुयोग द्रव्यानुयोग प्रश्न - जिनवाणी किसे कहते हैं और इसका अनुयोगों से क्या संबंध है? उत्तर - तीर्थंकर जिनेन्द्र भगवान की वाणी को जिनवाणी कहते हैं। चार अनुयोग जिनवाणी के ही अंग हैं, जिनेन्द्र भगवान द्वारा कथित वस्तु स्वरूप को स्पष्ट रूप से समझने के लिये जिनवाणी का चार अनुयोगों में विभाजन है। वीतरागता की पोषक ही जिनवाणी कहलाती है । सत्य धर्म ही मुक्ति मार्ग है, नित हमको सिखलाती है ।। प्रश्न - आचार्य तारण स्वामी जी ने जिनवाणी का वर्णन किस प्रकार किया है ? उत्तर - जिनवाणी को आचार्य तारण स्वामी जी ने सरस्वती कहा है और जिनवाणी को तीन प्रकार के मिथ्यात्व, कुज्ञान रूप अंधकार का नाश करने वाली, बुद्धि को प्रकाशित करने वाली, जिनेन्द्र की वाणी, अमूर्तिक ज्ञान मूर्ति आदि विशेषणों सहित वर्णन करते हुए नमस्कार किया है। प्रश्न - प्रथमानुयोग किसे कहते हैं, प्रथमानुयोग के अन्तर्गत कौन-कौन से ग्रन्थ हैं ? जिन शास्त्रों में श्रेषठ श्लाका पुरुषों की जीवन गाथा या उनके गुणों का वर्णन होता है, उसे प्रथमानुयोग कहते हैं। पद्मपुराण, श्रेणिक चरित्र, हरिवंश पुराण, जीवंधर चरित्र, यशोधर चरित्र, महापुराण, धन्यकुमार चरित्र, विमल पुराण आदि प्रथमानुयोग के ग्रन्थ हैं। प्रश्न - चरित्र और पुराण में क्या अन्तर है? उत्तर - जिसमें किसी एक महापुरुष के जीवन संबंधी घटना का वर्णन होता है उसे चरित्र कहते हैं और जिसमें अनेक महापुरुषों के जीवन की घटनाओं का वर्णन होता है, उसे पुराण कहते हैं। प्रश्न - प्रथमानुयोग के स्वाध्याय से क्या लाभ होता है ? उत्तर - संसार, शरीर, भोगों से वैराग्य, परिणामों में निर्मलता, पुण्य-पाप का ज्ञान, आत्म हित करने की प्रेरणा एवं समाधि का लाभ प्रथमानुयोग संबंधी शास्त्रों का स्वाध्याय करने से होता है। प्रश्न - करणानुयोग किसे कहते हैं, इस अनुयोग में कौन-कौन से ग्रन्थ हैं? उत्तर - जिसमें लोक-अलोक का विभाग, काल का परिवर्तन, गुणस्थान, मार्गणा स्थान तथा कर्मों के बंध, उदय, सत्ता आदि का वर्णन होता है उसे करणानुयोग कहते हैं। चौबीस ठाणा, खातिका विशेष, त्रिभंगीसार, गोम्मटसार जीवकांड, कर्मकांड, षट्खण्डागम, तिलोय पण्णत्ती, कर्म प्रकृति आदि करणानुयोग के ग्रन्थ हैं। प्रश्न - करणानुयोग के स्वाध्याय से क्या लाभ होता है? उत्तर - जीव की अवस्थाओं की पहिचान, तीन लोक का स्वरूप दर्शन, परिणामों से होने वाले कर्म
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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