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ज्ञान विज्ञान भाग -२
१. इन्द्रिय संयम-पाँच इन्द्रिय और मन को वश में करना इन्द्रिय संयम है। २. प्राणी संयम-पाँच स्थावर और त्रस अर्थात् षट्काय के जीवों की रक्षा करना प्राणी संयम कहलाता है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति को पाँच स्थावर काय और दो इन्द्रिय से पाँच इन्द्रिय तक के जीवों को त्रस काय कहते हैं। इस प्रकार पाँच स्थावर काय और एक त्रसकाय
मिलकर षट् कायिक जीव कहलाते हैं, इनकी रक्षा करना व्यवहार से संयम का स्वरूप है। प्रश्न - निश्चय से संयम का क्या स्वरूप है ? उत्तर - आत्म निरीक्षण पूर्वक अपने शुद्धात्म स्वरूप का ध्यान करना निश्चय से संयम है।
- तप किसे कहते हैं, तप के कितने भेद होते हैं? उत्तर - 'इच्छा निरोधः तपः इच्छाओं के निरोध करने को तप कहते हैं। तपके मूल भेद दो हैं- अंतरंग
तप और बहिरंग (बाह्य) तप।इनके क्रमशः छह-छह भेद हैं। इस प्रकार तप के उत्तर भेद बारह
होते हैं। प्रश्न - तप के बारह भेद कौन-कौन से हैं? उत्तर - बहिरंग (बाह्य) तप के छह भेद हैं -
१. अनशन २. अवमौदर्य ३. वृत्ति परिसंख्यान ४. रस परित्याग ५. विविक्त शय्यासन ६. काय क्लेश। अंतरंग तप के छह भेद हैं - १. प्रायश्चित २. विनय ३. वैयावृत्य
४. स्वाध्याय ५. व्युत्सर्ग ६. ध्यान । प्रश्न - निश्चय से तप का क्या स्वरूप है? उत्तर - रागादि विकारी भावों का त्याग करके आत्म स्वरूप में लीन रहना निश्चय से तप कहलाता है। प्रश्न - तप करने से क्या लाभ है? उत्तर - तप करने से कर्मों की निर्जरा और मुक्ति की प्राप्ति होती है। प्रश्न - दान किसे कहते हैं? उत्तर - अपने और पर के उपकार के लिये चार प्रकार का दान देना दान कहलाता है। प्रश्न - दान के चार भेद कौन से हैं, और निश्चय-व्यवहार से दान का स्वरूप क्या है? उत्तर - १. आहार दान २. ज्ञान दान ३. औषधि दान ४. अभयदान ।
व्यवहार से दान - तीन प्रकार के सुपात्रों को आहार आदि देना व्यवहार से दान है।
निश्चय से दान - उपयोग को अपने आत्म स्वरूप में लगाना निश्चय दान है। प्रश्न - षट् आवश्यक में निश्चय व्यवहार रूप कथन किया गया है, इसका क्या अभिप्राय है? उत्तर - शुद्धात्मानुभूति रूप वीतराग परिणति निश्चय आवश्यक है वह मोक्ष का कारण है। सम्यग्दृष्टि
ज्ञानी के जीवन में शुभ रूप व्यवहार सहज होता है । अज्ञानी जीव को कषाय की मंदता और शुभ भाव होने से पुण्य का उपार्जन होता है किन्तु उससे मुक्ति नहीं होती। ज्ञानी का जीवन निश्चय-व्यवहार से समन्वित होता है, यही निश्चय-व्यवहार रूप कथन का अभिप्राय है।