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________________ ज्ञान विज्ञान भाग -२ पाठ -४ षट् आवश्यक परिचय प्रश्न - श्रावक को प्रतिदिन क्या करना चाहिये? उत्तर - श्रावक को प्रतिदिन षट् आवश्यक का पालन करना चाहिये। प्रश्न - आचार्य श्री तारण स्वामी का षट् आवश्यक के संबंध में क्या कथन है? उत्तर - आचार्य श्री तारण स्वामी जी ने तारण तरण श्रावकाचार ग्रन्थ में षट् आवश्यक के दो भेद बताये हैं -१. अशुद्ध षट् आवश्यक २. शुद्ध षट् आवश्यक। १. आत्म दृष्टि के अभाव पूर्वक षट्कर्म का पालन करना अशुद्ध षट् आवश्यक कहा जाता है। २. आत्म दृष्टि की प्रमुखता सहित षट्कर्म का पालन करना शुद्ध षट् आवश्यक कहलाता है। प्रश्न - षट् आवश्यक कौन-कौन से हैं? उत्तर - १. देव पूजा २. गुरु उपासना ३. शास्त्र स्वाध्याय ४. संयम ५. तप ६. दान। प्रश्न - सच्चा देव कौन है? उत्तर - व्यवहार से - अरिहंत, सिद्ध परमात्मा सच्चे देव हैं। निश्चय से-निज शुद्धात्मा सच्चा देव है। प्रश्न - देव पूजा किसे कहते हैं? उत्तर - ७५ गुणों के द्वारा अरिहंत सिद्ध परमात्मा का और अपने आत्म स्वरूप का चिंतन मनन आराधन करना व्यवहार से देव पूजा है। अपने आत्म स्वरूप का चिंतन मनन करते हुए उपयोग को निज स्वभाव में लगाना निश्चय से देव पूजा है। प्रश्न - सच्चे गुरु कौन हैं? उत्तर - व्यवहार से निर्ग्रथ वीतरागी साधु सच्चे गुरु हैं। निश्चय से निज अंतरात्मा सच्चा गुरु है। प्रश्न - सच्चे गुरु किन्हें कहते हैं? उत्तर - जो परिग्रह से रहित, सम्यग्ज्ञान से अलंकृत, निर्ग्रन्थ वीतरागी होते हैं, राग-द्वेष नहीं करते, जिन्होंने विषय-कषाय का त्याग कर दिया है, जो रत्नत्रय से शुद्ध और मिथ्या माया आदि से रहित होते हैं उन्हें सच्चे गुरु कहते हैं। आचार्य, उपाध्याय, साधु सच्चे गुरु कहलाते हैं। प्रश्न - गुरु उपासना किसे कहते हैं? उत्तर - वीतरागी सद्गुरुओं के गुणों का स्मरण करना तथा वंदना भक्ति करना, व्यवहार से गुरु उपासना कहलाती है। निज अंतरात्मा ज्ञायक भाव की आराधना करना निश्चय से गुरु उपासना है। प्रश्न - शास्त्र स्वाध्याय किसे कहते हैं? उत्तर - आत्म कल्याण के लक्ष्य से जिनवाणी का अध्ययन, चिंतन, मनन करना व्यवहार से स्वाध्याय है। आत्म निरीक्षण करना, परिणामों की संभाल रखना और ध्रुव स्वभाव में स्थित होना निश्चय से स्वाध्याय है। प्रश्न - संयम किसे कहते हैं, उसके कौन-कौन से भेद हैं? उत्तर - मन के संयमन करने को संयम कहते हैं। संयम के दो भेद हैं १. इन्द्रिय संयम २.प्राणी संयम ।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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