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ज्ञान विज्ञान भाग -१ प्रश्न - पंच स्थावर जीवों का क्या स्वरूप है, उदाहरण सहित बताइये? उत्तर - १. पृथ्वी कायिक - पृथ्वी ही जिनका शरीर है उन्हें पृथ्वी कायिक जीव कहते हैं।
जैसे - मिट्टी, पत्थर आदि। २. जल कायिक - जल ही जिनका शरीर है उन्हें जल कायिक जीव कहते हैं। जैसे - पानी, बर्फ, ओला, ओस आदि। ३. अग्नि कायिक - अग्नि ही जिनका शरीर है उन्हें अग्निकायिक जीव कहते हैं। जैसे - अग्नि, अंगारे, दीपक की लौ आदि। ४. वायुकायिक - वायु ही जिनका शरीर है उन्हें वायुकायिक जीव कहते हैं। जैसे - हवा, आंधी, तूफान आदि। ५. वनस्पति कायिक - वनस्पति ही जिनका शरीर होता है उन्हें वनस्पति कायिक जीव
कहते हैं। जैसे - वृक्ष, लता, घास आदि। प्रश्न - स जीव किसे कहते हैं? उत्तर - दो इन्द्रिय से पाँच इन्द्रिय जीवों को त्रस जीव कहते हैं। प्रश्न - विकलत्रय किसे कहते हैं?
दो इन्द्रिय से चार इन्द्रिय तक जीवों को विकलत्रय कहते हैं। प्रश्न - एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तक के जीव अलग-अलग इन्द्रिय वाले क्यों होते हैं ? उत्तर - कर्म का उदय अलग-अलग होने से जीव अलग-अलग इन्द्रियों वाले होते हैं। जैसे-स्थावर
नाम कर्म के उदय से जीव एकेन्द्रिय स्थावर पर्याय धारण करते हैं तथा पृथ्वी, जल, अग्रि, वायु, वनस्पति काय में जन्म लेते हैं। त्रस नाम कर्म के उदय से जीव दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय और पाँच इन्द्रिय रूप त्रस पर्याय में जन्म लेते हैं। इस प्रकार कर्म के उदय की भिन्नता होने से जीव अलग-अलग इन्द्रियों वाले होते हैं।
जिनवाणी स्तुति हे जिनवाणी माता, तुम जग कल्याणी हो । सद्ज्ञान प्रदान करो, तुम शिव सुखदानी हो ॥ मिथ्यात्व मोहतम का, चहुँ ओर अंधेरा है । माँ तुम बिन इस जग में कोई नहीं मेरा है । भव पार करो नैया, तुम जिनवर वाणी हो ... चहुँगति के दुःख भोगे, पल भर न सुख पाया। अति पुण्य उदय से माँ, तव चरणों में आया । सुखमय कर दो मुझको, सुखमय हर प्राणी हो ... आतम शुद्धातम है, तुमने ही बताया है । रत्नत्रय की महिमा, सुन मन हरषाया है | मैं करूं सदा वंदन, तुम सब गुणखानी हो ...
रचयिता - ब्र. बसन्त