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________________ ज्ञान विज्ञान भाग -१ प्रश्न - आँख देखती है, कान सुनते हैं, फिर शरीर अजीव कैसे हो सकता है? उत्तर - आँख देखने में और कान सुनने में निमित्त मात्र हैं, जीव ही इन्द्रियों के माध्यम से देखता -सुनता है। जिस शरीर में से आत्मा निकल जाती है उस मृत शरीर के आँख, कान देखते-सुनते नहीं हैं इसलिये शरीर अजीव ही है। प्रश्न - जीव और शरीर को भिन्न-भिन्न जानने के लिये क्या विचार करना चाहिये? उत्तर - १. मैं जीव हूँ , मुझमें ज्ञान-दर्शन चेतना है। २. शरीर अजीव है, इसमें ज्ञान-दर्शन चेतना नहीं है। प्रश्न - जीव के कितने भेद हैं? उत्तर - जीव के दो भेद हैं - संसारी और मुक्त। - संसारी जीव किसे कहते हैं? उत्तर - जो जीव कर्म सहित हैं और संसार में जन्म-मरण करते हैं उन्हें संसारी जीव कहते हैं। प्रश्न - मुक्त जीव किसे कहते हैं? उत्तर - जिन्होंने आठ कर्मों का नाश कर दिया है और संसार के जन्म-मरण आदि दुःखों से छूटकर मोक्ष प्राप्त कर लिया है, ऐसे सिद्ध परमात्मा को मुक्त जीव कहते हैं। प्रश्न - संसारी जीव के कितने भेद हैं? उत्तर - संसारी जीव के दो भेद हैं - स्थावर और त्रस। जीव के भेद (संसारी और मुक्त) जीव संसारी नि (शरीररी +पृथ्वी काविळ +जल कायिक + अग्नि कायिक +वायु कायिक +कास्पति कायिक संज्ञी असंज्ञी प्रश्न - स्थावर जीव किसे कहते हैं, वे कितने और कौन-कौन से हैं? उत्तर - जिन जीवों को जिन जीवों को एक स्पर्शन इन्द्रिय होती है उन्हें स्थावर जीव कहते हैं। स्थावर जीव के पाँच भेद हैं - १.पृथ्वी कायिक,२. जल कायिक,३. अग्नि कायिक, ४. वायुकायिक,५. वनस्पति कायिक।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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