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ज्ञान विज्ञान भाग-१
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है। सदाचारी जीवन बनाने के लिए इन्द्रियों पर संयम रखते हुए अभक्ष्य पदार्थों का त्याग
करना चाहिये। यह सदाचार ही अध्यात्म साधना का प्रवेश द्वार है। दिनेश - भाई साहब, आपसे बहुत प्रेरणा प्राप्त हुई। सदाचार का यथार्थ स्वरूप समझ में आया इसी प्रकार मार्गदर्शन देते रहियेगा।
अभ्यास के प्रश्न प्रश्न- १ अभक्ष्य किसे कहते हैं, भेद सहित बताइये? प्रश्न -२ कन्दमूल कौन सा अभक्ष्य है? प्रश्न -३ अभक्ष्य भक्षण से कौन-कौन सी हानियाँ होती हैं ? प्रश्न -४ सदाचार क्या है? प्रश्न-५ सदाचार का क्या महत्व है ?
पाठ-६
वस्तु विज्ञान प्रश्न - संसार में मूलतः कितनी वस्तुएँ हैं? उत्तर - संसार में मूलतः दो वस्तुएँ हैं - जीव और अजीव । प्रश्न - जीव किसे कहते हैं? उत्तर - जिसमें जानने देखने की शक्ति होती है उसे जीव कहते हैं।
जैसे- चींटी, मनुष्य, गाय, देव आदि। प्रश्न - अजीव किसे कहते हैं। उत्तर - जिसमें देखने जानने की शक्ति नहीं होती है उसे अजीव कहते हैं।
जैसे- टेबिल, पेन, थाली, अलमारी आदि। प्रश्न - जीव कौन सी इन्द्रिय से जाना जाता है? उत्तर - जीव ज्ञान स्वभावी चैतन्य तत्त्व है, वह इन्द्रियों के द्वारा नहीं जाना जाता, अनुभव में ही आता
है। भेदज्ञान के द्वारा हम जीव को जान सकते हैं, उसकी पहिचान अनुभूति में ही होती है। प्रश्न - अजीव के कितने भेद हैं? उत्तर - अजीव के पाँच भेद हैं - पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल । इनमें पुद्गल द्रव्य रूपी है,
उसमें स्पर्श, रस, गंध, वर्ण आदि पाये जाते हैं और धर्म, अधर्म, आकाश, काल अरूपी हैं,
उनमें स्पर्शादि गुण नहीं होते। प्रश्न - अजीव की विशेषता क्या है? उत्तर - अजीव में ज्ञान नहीं होता और वह सुख-दुःख का अनुभव नहीं करता यही अजीव की
विशेषता है।