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________________ छहढाला - पाँचवीं ढाल (च) अशुभ उपयोग क्या है ? उत्तर - हिंसादि में अथवा कषाय, पाप और व्यसनादि निंदनीय कार्यों में प्रवृत्ति होना अशुभ उपयोग है। (छ) शुभ उपयोग क्या है ? उत्तर - देव आराधना, स्वाध्याय, संयम, दान, दया, अणुव्रत-महाव्रतादि के शुभभाव होना शुभोपयोग है। (ज) सकल व्रत क्या है ? उत्तर - ५ महाव्रत, ५ समिति, षट्आवश्यक, ५ इन्द्रिय जय, केशलोंच, अस्नान, भूमिशयन, अदन्तधावन,खड़े-खड़े आहार, दिन में एक बार आहार जल तथा नग्नता अथवा निर्ग्रन्थता का पालन करना व्यवहार सकलव्रत है और रत्नत्रय की एकतारूप आत्मस्वभाव में स्थिर होना निश्चय सकलव्रत है। प्रश्न३ - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - (क) पाँचवीं ढाल का सारांश लिखिये। उत्तर - यह बारह भावनाएँ चारित्रगुण की आंशिक शुद्ध पर्यायें हैं इसलिये वे सम्यक्दृष्टि जीव को ही हो सकती हैं। सम्यक् प्रकार यह बारह प्रकार की भावनाएँ भाने से वीतरागता की वृद्धि होती है। उन बारह भावनाओं का चिंतन मुख्य रूप से तो वीतरागी दिगम्बर जैन मुनिराज को ही होता है तथा गौणरूप से सम्यक्दृष्टि को भी होता है। जिस प्रकार पवन के लगने से अग्नि भभक उठती है, उसी प्रकार अन्तरंग परिणामों की शुद्धता सहित इन भावनाओं का चिंतन करने से समताभाव प्रगट होता है। उससे मोक्षसुख प्राप्त होता है । स्वोन्मुखतापूर्वक इन भावनाओं से संसार, शरीर और भोगों के प्रति विशेष उपेक्षा अर्थात् उदासीनता होती है और आत्मा के परिणामों की निर्मलता बढ़ती है। इन बारह भावनाओं का स्वरूप विस्तार से जानना हो तो स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा, ज्ञानार्णव आदि ग्रन्थों का अवलोकन करना चाहिये । सम्यग्दर्शन के बिना शरीरादि को बुरा जानकर, अहितकारी मानकर उनसे उदास होने का नाम अनुप्रेक्षा नहीं है, क्योंकि यह तो जिस प्रकार पहले किसी को मित्र मानता था तब उसके प्रति राग था और फिर उसके अवगुण देखकर उसके प्रति उदासीन हो गया। उसी प्रकार पहले शरीरादि से राग था, किन्तु बाद में उनके अनित्यादि अवगुण देखकर उदासीन हो गया परन्तु ऐसी उदासीनता तो द्वेषरूप है। अपने तथा शरीरादि के यथावत् स्वरूप को जानकर, भ्रम का निवारण करके, उन्हें भला जानकर राग न करना तथा बुरा जानकर द्वेष न करना- ऐसी यथार्थ उदासीनता के हेतु अनित्य, अशरण आदि भावनाओं का यथार्थ चिंतन करना ही सच्ची अनुप्रेक्षा है। (ख) किसी एक छंद को शुद्धता पूर्वक लिखकर व्याख्या कीजिये। (ग) “बारह भावनायें' विषय पर निबंध लिखिये। पाँचवीं ढाल में से किसी एक भावना का छंद लिखिये। अथवा (ग) १२ भावना के नाम लिखकर लोकभावना को छंदसहित स्पष्ट कीजिये। उत्तर - (ख और ग - उक्त प्रश्नों के उत्तर स्वयं खोजें)
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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