SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छहढाला - पाँचवी ढाल १३२ प्रश्न २० - ग्रैवेयक क्या है ? उत्तर - सोलहवें स्वर्ग से ऊपर और प्रथम अनुदिश से नीचे देवों के रहने के स्थान को ग्रैवेयक कहते हैं। अभ्यास के प्रश्न प्रश्न १ - वस्तुनिष्ठ प्रश्न - (क) रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिये(१) पाँचवीं ढाल में ------- का वर्णन है। (बारह अनुप्रेक्षाओं) (२) मुनि ------- होते हैं। (सकलव्रती) (३) जोबन, गृह, गोधन नारी ------- आज्ञाकारी। (हय गय जन) (४) इंद्रिय आदि के विषय भोग ------- के समान हैं। (इन्द्रधनुष) (५) किनहू न करौ न धरै को, ------- न हरै को। (षड्द्रव्यमयी) (ख) सत्य-असत्य लिखिये - (१) बारह भावनायें वैराग्य उत्पन्न करने के लिए माता के समान हैं। (सत्य) (२) आयु पूर्ण होने पर मरण से कोई नहीं बचा सकता, ऐसा एकत्व भावना में बताया है। (असत्य) (३) शुभ-अशुभ कर्मों के फल को यह जीव अपने परिवार के साथ भोगता है। (असत्य) (४) चतुर्गति रूप संसार में बहुत सुख भरा हुआ है और यह जीव सुखपूर्वक भ्रमण करता (असत्य) (५) दुर्लभ सम्यग्ज्ञान को मुनिराजों ने अपने आत्मा में धारण किया है। (सत्य) प्रश्न २ - लघुउत्तरीय प्रश्न - (क) बारह भावनाओं के नाम लिखिए। उत्तर - अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व, अशुचि, आस्रव, संवर, निर्जरा, लोक, बोधि दुर्लभ, धर्म भावना। (ख) योगों की चंचलता से क्या होता है? उत्तर - योगों की चंचलता से कर्मों का आस्रव होता है। (ग) परावर्तन कितने होते हैं? उत्तर - परावर्तन पाँच होते हैं - द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, भव । (घ) सुर-असुर से क्या तात्पर्य है ? उत्तर - देवगति नामकर्म के उदय वाले भवन वासी, कल्पवासी, वैमानिक देवों को सुर - असुर कहते हैं। (ङ) द्रव्य और भाव योग किसे कहते हैं ? उत्तर - मन, वचन, काय के निमित्त से आत्मा के प्रदेशों में कम्पन होना द्रव्ययोग तथा कर्म, नोकर्म के ग्रहण में निमित्तरूप जीव की शक्ति को भावयोग कहते हैं।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy