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छहढाला - पाँचवी ढाल
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आत्मानुभवपूर्वक भावलिंगी मुनि का स्वरूप सो धर्म मुनिनकरि धरिये, तिनकी करतूत उचरिये ।
ताको सुनिये भवि प्रानी, अपनी अनुभूति पिछानी ॥ १५ ॥ अन्वयार्थ :- (सो) ऐसा रत्नत्रय (धर्म) धर्म (मुनिनकरि) मुनियों द्वारा (धरिये) धारण किया जाता है (तिनकी) उन मुनियों की (करतूत) क्रियाएँ (उचरिये) कही जाती हैं (भवि प्रानी) हे भव्य जीवो ! (ताको) उसे (सुनिये) सुनो और (अपनी) अपने आत्मा के (अनुभूति) अनुभव को (पिछानौ) पहिचानो। प्रश्न १ - अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं? उत्तर - अनुप्रेक्षा अर्थात् भावना । भेदज्ञानपूर्वक संसार, शरीर और भोगादि के स्वरूप का बारम्बार
विचार करके उनके प्रति वैराग्यभाव उत्पन्न करना अनुप्रेक्षा है। प्रश्न २ - अनुप्रेक्षा कितनी है? उत्तर - अनुप्रेक्षा बारह हैं - अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व, अशुचि, आस्रव, संवर,
निर्जरा, लोक, बोधि दुर्लभ, धर्म भावना। प्रश्न३ - अनित्य अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं ? उत्तर - यौवन, मकान, गाय, धन, स्त्री, घोड़ा, हाथी, कुटुम्बी, नौकर और इन्द्रिय विषय आदि सब
क्षण भंगुर अनित्य हैं ऐसा बार-बार चिन्तन करना अनित्य अनुप्रेक्षा है। प्रश्न ४ - अशरण अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं? उत्तर - जैसे हिरण को सिंह नष्ट कर देता है, वैसे ही संसार में इन्द्र, नरेन्द्र, नागेन्द्र और
खगेन्द्र (विद्याधर) आदि को मृत्यु नष्ट कर देती है अर्थात् संसार में कोई शरण नहीं है, ऐसा
बार-बार चिन्तन करना अशरण अनुप्रेक्षा है। प्रश्न ५ - संसार अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं? उत्तर - जीव चारों गतियों के दुःख भोगता हुआ पंच परावर्तन करता है और यह संसार सब प्रकार से
असार है इसमें थोड़ा सा भी सुख नहीं है ऐसा चिंतन करना संसार अनुप्रेक्षा है। प्रश्न ६ - एकत्व अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं ? उत्तर - अपने शुभ कर्मों के अच्छे और अशुभ कर्मों के बुरे फल को जीव अकेला ही भोगता है। पुत्र
और स्त्री आदि कोई भी साथी नहीं होते, वे सब स्वार्थ के साथी हैं ऐसा चिन्तन करना एकत्व
अनुप्रेक्षा है। प्रश्न ७ - अन्यत्व अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं? उत्तर - मैं शरीर से भिन्न हूँ फिर स्त्री पुत्र धन आदि बाह्य परिग्रह मेरे कैसे हो सकते हैं अर्थात् आत्मा
से सभी पदार्थ भिन्न हैं ऐसा चिंतन करना अन्यत्व अनुप्रेक्षा है। प्रश्न ८ - अशुचि अनुप्रेक्षा किसे कहते हैं ? उत्तर - यह शरीर माँस खून पीव मल-मूत्रादि का घर है। इस तरह शरीर की अपवित्रता का चिंतन
करना अशुचि अनुप्रेक्षा है।