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________________ छहढाला - चौथी ढाल १२३ प्रश्न १४- श्रावक किसे कहते हैं और श्रावक के कितने भेद होते हैं ? उत्तर - सात व्यसन के त्याग पूर्वक जो अष्ट मूल गुणों का पालन करता हो, तत्त्वार्थ श्रद्धानी एवं आत्मानुभवी हो, सच्चे देव, गुरु, धर्म का आराधक हो, पानी छानकर पीता हो, रात्रि भोजन का त्यागी हो उसे श्रावक कहते हैं। श्रावक के तीन भेद हैं - १. पाक्षिक श्रावक २. नैष्ठिक श्रावक ३. साधक श्रावक। प्रश्न १५- पाक्षिक श्रावक किसे कहते हैं ? उत्तर - जो अभ्यास रूप से श्रावक धर्म का पालन करता है उसे पाक्षिक श्रावक कहते हैं। प्रश्न १६- नैष्ठिक श्रावक किसे कहते हैं? उत्तर - जो निरतिचार श्रावक धर्म का पालन करता है उसे नैष्ठिक श्रावक कहते हैं। प्रश्न १७- साधक श्रावक किसे कहते हैं? उत्तर - जो श्रावक धर्म का आचरण करता हुआ ग्यारह प्रतिमा का पालन करता है उसे साधक श्रावक कहते हैं। प्रश्न १८- नैष्ठिक श्रावक के कितने भेद हैं? उत्तर - नैष्ठिक श्रावक के तीन भेद हैं - १ से ६ प्रतिमा तक जघन्य श्रावक । ७ से ९ प्रतिमा तक मध्यम श्रावक । १० वी ११ वी प्रतिमाधारी उत्तम श्रावक कहलाते हैं। नैष्ठिक श्रावक ग्यारह प्रतिमाओं का पालन करते हैं -१. दर्शन २. व्रत ३. सामायिक ४ प्रोषधोपवास ५. सचित्तविरत ६. रात्रिभुक्तित्याग ७. ब्रह्मचर्य ८. आरम्भविरत ९. परिग्रहविरत १०. अनुमति विरत ११. उद्दिष्टविरत । प्रश्न १९- श्रावक को मरण के समय क्या करना चाहिये? उत्तर - श्रावक को मरण के समय प्रीतिपूर्वक सन्यास (सल्लेखना) धारण करना चाहिये। प्रश्न २०- सल्लेखना किसे कहते हैं? उत्तर - सम्यकप्रकार से शरीर और कषायों के कृश करने को सल्लेखना कहते हैं। अभ्यास के प्रश्न प्रश्न १ - उचित शब्दों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये (क) चौथी ढाल में ------- की आराधना का उपदेश है। (सम्यग्दर्शन/सम्यग्ज्ञान) (ख) यह जीव अनादि से संसार के ------- भोग रहा है। (दुःख / सुख) (ग) स्व-पर को प्रकाशित करने के लिये आत्मा ------- के समान है। (सूर्य / चंद्र) (घ) जो ज्ञान इन्द्रियों तथा मन के निमित्त से वस्तु को स्पष्ट जानता है उसे ------- कहते हैं। (प्रत्यक्षज्ञान/परोक्षज्ञान) (ङ) मुनिव्रत धार अनंतबार ------- उपजायो। (ग्रीवक / सर्वार्थ सिद्धि) प्रश्न २ - अतिलघुउत्तरीय/लघुउत्तरीय प्रश्न - (क) सम्यक्ज्ञान कब होता है ? उत्तर - सम्यग्दर्शन के साथ ही सम्यग्ज्ञान होता है।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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