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छहढाला-चौथी ढाल
उसे प्रत्यक्ष ज्ञान कहते हैं। प्रश्न ४ - द्रव्य, गुण, पर्याय का क्या स्वरूप है? उत्तर - द्रव्य - गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं।
गुण - जो द्रव्य के पूरे हिस्से में और उसकी सब अवस्थाओं में रहता है उसे गुण कहते हैं।
पर्याय - गुणों के परिणमन को पर्याय कहते हैं। प्रश्न ५ - संशय किसे कहते हैं? उत्तर - विरुद्ध अनेक कोटि का स्पर्श करने वाले ज्ञान को संशय कहते हैं। जैसे-यह सीप है या चांदी। प्रश्न ६ - विपर्यय किसे कहते हैं? उत्तर - विपरीत एक कोटि के निश्चय करने वाले ज्ञान को विपर्यय कहते हैं। जैसे - सीप को चाँदी
जानना। (इसको विभ्रम भी कहते हैं।) प्रश्न ७ - अनध्यवसाय किसे कहते हैं ? उत्तर - 'कुछ है' ऐसे निर्धार रहित ज्ञान को अनध्यवसाय कहते हैं। जैसे - यह सीप है या चांदी
इसका निर्णय न होना। प्रश्न८ - सम्यग्ज्ञान का कारण क्या है ? उत्तर - सम्यग्ज्ञान का कारण आत्मा और पर पदार्थों का भेद विज्ञान है। प्रश्न ९ - सम्यग्ज्ञान की महिमा क्या है ? उत्तर - जो जीव पहले मोक्ष जा चुके हैं, अभी जा रहे हैं और आगे जावेंगे, यह सब सम्यग्ज्ञान की
महिमा है। प्रश्न १०- विषयों की चाह रूपी अग्नि को शांत करने का क्या उपाय है? उत्तर - विषयों की चाह रूपी अग्नि को सम्यग्ज्ञान रूपी मेघ (बादल) ही शांत कर सकते हैं उसे शांत
करने का अन्य कोई उपाय नहीं है। प्रश्न ११- पुण्य और पाप के फल में भव्य जीवों को क्या नहीं करना चाहिये? उत्तर - आत्म हितैषी भव्य जीवों को पुण्य के फल में हर्ष और पाप के फल में विषाद नहीं करना
चाहिये क्योंकि ये पुण्य और पाप दोनों ही पुद्गल की पर्यायें हैं जो पुनः-पुनः उत्पन्न होती हैं
और नष्ट हो जाती हैं। प्रश्न १२- सम्यक्चारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर - हिंसादि पापों से निवृत्त होने को चारित्र कहते हैं। अशुभ कार्यों से निवृत्ति और शुभ कार्यों में
प्रवत्ति होने को व्यवहार सम्यक्चारित्र कहते हैं। अपने स्वरूप में रमणता को निश्चय
सम्यक्चारित्र कहते हैं। प्रश्न १३- हिंसा के कितने भेद हैं? उत्तर - हिंसा के चार भेद हैं -
१.संकल्पी हिंसा २. आरम्भी हिंसा ३. उद्योगी हिंसा ४. विरोधी हिंसा।