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छहढाला - तीसरी ढाल
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तीसरी ढाल
नरेन्द्र छन्द (जोगीरासा) आत्महित, सच्चा सुख तथा दो प्रकार से मोक्षमार्ग का कथन आतम को हित है सुख, सो सुख आकुलता बिन कहिये । आकुलता शिवमाहिं न तातें, शिवमग लाग्यो चहिये ॥ सम्यग्दर्शन ज्ञान चरन शिव मग, सो द्विविध विचारो ।
जो सत्यारथ रूप सो निश्चय, कारण सो व्यवहारो ॥ १ ॥ अन्वयार्थ :-(आतम को) आत्मा का (हित) कल्याण (है) है (सुख) सुख की प्राप्ति (सो सुख) वह सुख (आकुलता बिन) आकुलता रहित (कहिये) कहा जाता है (आकुलता) आकुलता (शिवमांहिं) मोक्ष में (न) नहीं है (ताते) इसलिये (शिवमग) मोक्ष मार्ग में (लाग्यो) लगना (चहिये) चाहिये। (सम्यग्दर्शन ज्ञान चरन) सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र इन तीनों की एकता रूप (शिवमग) जो मोक्ष का मार्ग है (सो) उस मोक्ष मार्ग का (द्विविध) दो प्रकार से (विचारो) विचार करना चाहिये कि (जो)जो (सत्यारथ रूप) वास्तविक स्वरूप है (सो) वह (निश्चय) निश्चय मोक्ष मार्ग है और (कारण) जो निश्चय मोक्ष मार्ग का निमित्त कारण है (सो) उसे (व्यवहारो) व्यवहार मोक्ष मार्ग कहते हैं।
निश्चय सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र का स्वरूप पर द्रव्यनसे भिन्न आपमें रुचि, सम्यक्त्व भला है । आपरूप को जानपनों, सो सम्यग्ज्ञान कला है ॥ आपरूप में लीन रहे थिर, सम्यक्चारित्र सोई।
अब व्यवहार मोक्षमग सुनिये, हेतु नियत को होई ॥ २॥ अन्वयार्थ :-(आपमें) आत्मा में (पर द्रव्यनते) पर वस्तुओं से (भिन्न) भिन्नत्व की (रुचि) श्रद्धा करना (भला) निश्चय (सम्यक्त्व) सम्यग्दर्शन (है) है (आपरूप को) आत्मा के स्वरूप को [पर द्रव्यों से भिन्न (जानपनों) जानना (सो) वह (सम्यग्ज्ञान) निश्चय सम्यग्ज्ञान (कला) प्रकाश (है) है पर द्रव्यों से भिन्न] ऐसे (आपरूप में) आत्म स्वरूप में (थिर) स्थिरता पूर्वक (लीन रहे) लीन होना सो (सम्यक् चारित्र) निश्चय सम्यक्चारित्र (सोई) है। (अब) अब (व्यवहार मोक्षमग) व्यवहार मोक्ष मार्ग (सुनिये) सुनो [कि जो व्यवहार मोक्ष मार्ग] (नियत को) निश्चय मोक्ष मार्ग का (हेतु) निमित्त कारण (होई) है।
व्यवहार सम्यक्त्व (सम्यग्दर्शन) का स्वरूप जीव अजीव तत्त्व अस आसव, बंध रु संवर जानो। निर्जर मोक्ष कहे जिन तिनको, ज्यों का त्यों सरधानो ॥ है सोई समकित व्यवहारी, अब इन रूप बखानो ।
तिनको सुन सामान्य विशेषै, दिढ़ प्रतीत उर आनो ॥ ३ ॥ अन्वयार्थ :- (जिन) जिनेन्द्र परमात्मा ने (जीव) जीव (अजीव) अजीव (आस्रव) आस्रव (बंध रू) बंध और (संवर) संवर (निर्जर) निर्जरा (अरु) और (मोक्ष) मोक्ष (तत्त्व) यह सात तत्त्व (कहे)