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________________ छहढाला - पहली ढाल ७. माघवी। प्रश्न १५- नरक की भूमियों के नाम कौन-कौन से हैं? उत्तर - नरक की भूमियों के सात नाम हैं - १. रत्नप्रभा २. शर्कराप्रभा ३. बालुकाप्रभा ४. पंकप्रभा ५. धूमप्रभा ६. तमःप्रभा ७. महातमःप्रभा । प्रश्न १६- नरकों में ऊष्णता व शीत कौन-कौन से नरकों तक होती है? उत्तर - प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम भूमि के ऊपरी भाग तक ऊष्णता होती है एवं पांचवें नरक की भूमि के नीचे के भाग में तथा छटवें व सातवें नरक की भूमि में शीत होती है। प्रश्न १७- नरक आयु के आसव का कारण क्या है? उत्तर - बहुत आरंभ और परिग्रह का होना नरक आयु के आस्रव का कारण है। प्रश्न १८-निर्जरा किसे कहते हैं? उत्तर - आत्मा के साथ पूर्व में बंधे हुए कर्मों का एक देश झड़ जाना निर्जरा है। प्रश्न १९- भवनत्रिक किसे कहते हैं? उत्तर - भवनवासी, व्यन्तर एवं ज्योतिषी देवों को भवनत्रिक कहते हैं। प्रश्न २०- देव कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर - देव चार प्रकार के होते हैं? १. भवनवासी २. व्यंतर ३. ज्योतिषी ४. वैमानिक। अभ्यास के प्रश्न प्रश्न १- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - (क) तीव्र कर्मोदय में युक्त न होकर जीव पुरुषार्थ द्वारा मंदकषाय रूप परिणमित हो, वह ---- ----- है। (अकामनिर्जरा/निर्जरा) (ख) जहाँ के जीवों ने अनादिकाल से आज तक त्रसपर्याय प्राप्त नहीं की, ऐसी जीवराशि ---- ---- कहलाती है। (नित्य निगोद/निगोद) (ग) अति --------- भावतें मर्यो, घोर श्वभ्र सागर में पर्यो। (क्लेश/संक्लेश) (घ) दुर्लभ लहि ज्यों चिन्तामणि, त्यों पर्याय लही --------- I (त्रसतणी/मनुष्य) (ङ) मन, वचन और काय अथवा द्रव्य और भाव को ------- कहते हैं। (भोग /योग) प्रश्न २- अतिलघुउत्तरीय प्रश्न - (क) तीन भुवन में सार क्या है ? उत्तर - तीन भुवन (ऊर्ध्व, मध्य और अधोलोक) में सार तत्त्व राग-द्वेष रहित केवलज्ञान अर्थात् वीतराग विज्ञान है। (ख) संसार परिभ्रमण का कारण क्या है? उत्तर - अनादिकाल से अपने आत्म स्वरूप को भूलकर मोह में फँसना ही संसार परिभ्रमण का कारण है।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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