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________________ ७. सन् १९९१ में जबलपुर में ४९ दिवसीय पाठ, वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ तथा इसी अवसर पर ब. श्री स्वरूपानंद जी महाराज की दीक्षा हुई। ८.वर्ष ९६ में गंजबासौदा में "तारण की जीवन ज्योति" का वांचन,श्री संघ की स्थापना एवं दि.७.१.९६ रविवार को ब्र. श्री आत्मानंद जी की दीक्षा, ब्र. मुन्नी बहिन जी का ब्रह्मचर्य व्रत तथा अन्य भव्य जीवों द्वारा ब्रह्मचर्य व्रत नियम संयम लिए गये, पश्चात् लगभग २०० श्रावक-श्राविकाओं का संघपदयात्रा पूर्वक श्री सेमरखेडीजी पहुंचा वह अभूतपूर्व अवसर था। ९.पूज्य श्री के सानिध्य में व्र. नेमीजी की प्रेरणा से बाल ब्र. श्री बसन्त जी महाराज द्वारा-बरेली, सिलवानी, गंजबासौदा, जबलपुर, सेमरखेडीजी में १४ ग्रंथों के ४९ दिवसीय पाठ किये गये, जिससे गुरूवाणी की महिमा प्रभावना में वृद्धि हुई, तथा साधकों के, वर्षों से विभिन्न स्थानों पर हो रहे वर्षावास से अनेक उपलब्धियां हुई हैं। विगत वर्ष ९८ में श्री संघ के सेमरखेड़ी जी वर्षावास से हुई उपलब्धि आज भी चर्चा प्रभावना का विषय बना हुआ है, जिसमें १४ ग्रंथों का ४९ दिवसीय पाठ हुआ और जीवन ज्योतिवांचन समापन अवसर पर दिनांक ५.९.९८ अनंत चतुर्दशी को पूज्य श्रीज्ञानानंदजीमहाराज ने दसवींप्रतिमा की दीक्षाली तथा व्र. सहजानंद जी एवं व्र.शांतानंद जी की सातवीं प्रतिमा की दीक्षा हुई और १०० भव्य जीवों ने व्रत नियम संयम लिए,जागरण का वह अपूर्व अवसर चिरस्मरणीय रहेगा। १०. इसके पूर्व सन् १९९७ में साधकों का देशव्यापी.. अध्यात्म चक्र भ्रमण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और वर्ष ९८ में संपूर्ण समाज में "संस्कार शिविरों के आयोजन से सामाजिक परिवेश RA में अपूर्व क्रांतिकारी परिवर्तन, संगठन, प्रभावना और जागरण हुआ है। ११. सन् १९८९ में ध्वज प्रवर्तन के समय बा. ब. श्री सरला जी एवं बा.ब.श्रीऊया जी ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया तथा सन् १९९६ में होशंगाबाद में बाल ब्र. नंद श्री (रचना) ने ब्रह्मचर्य व्रत लेकर अपना जीवन धर्म के लिए समर्पित किया। १२.वर्ष ९१से ९८ के बीच पूज्य ब.श्रीबसंतजी के स्वरों में भजन, फूलना, मालारोहण,तत्वार्थसूत्र, देव गुरू शास्त्र पूजा, चौदह ग्रंथ जयमाल, बारह भावना आदि के मधुर कैसेट बनाये गये जो पूरे देश में प्रभावना के साधन बने हैं। १३. वर्ष ९९ में तारण तरण अध्यात्म क्रांति जन जागरण अभियान के तहत साधक बंधु एवं सभी ब्रह्मचारिणी बहिनों ने नगर-नगर, गांव-गांव जाकर संपूर्ण समाज में अध्यात्म और गुरूवाणी की अलख जगाई इससे सामाजिक धार्मिक सभी कार्य सहज ही बने हैं और अपूर्व धर्म प्रभावना हुई है। १४. साहित्य के क्षेत्र में ब्रह्मानंद आश्रम से विगत वर्षों में साहित्य प्रकाशन होता रहा तथा ३१ मार्च ९९ को भोपाल में श्री तारण तरण अध्यात्म प्रचार योजना केन्द्र की स्थापना हुई और तीव्र गति से साहित्य प्रकाशन हो रहा है, इस कड़ी में पूज्य श्री गुरू महाराज के ग्रंथों की-पूज्य श्री द्वारा की गई तीन बत्तीसी की टीकाओं में से मालारोहण,पंडित पूजा की टीका, अध्यात्म अमृत (चौदह ग्रंथ जयमाल एवं भजन), अध्यात्म किरण (जैनागम १००८ प्रश्नोत्तर) तथा पूज्य ब. श्री बसंत जी महाराज द्वारा सृजित अध्यात्म आराधना देव गुरू शास्त्र पूजा का हजारों की संख्या में प्रकाशन हो चुका है। सारे देश में यह साहित्य धर्म की धूम
SR No.009711
Book TitleAdhyatma Aradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherTaran Taran Sangh Bhopal
Publication Year1999
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size3 MB
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