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* तारण-वाणी *
जिसने मिथ्यात्व छोड़ा हो बही असंयत सम्यग्दृष्टि, देशप्रति और सर्वविरति - महाव्रती हो सकता है ।
मात्र कुदेवादिक की मान्यता छोड़ देने भर से मिथ्यात्व छोड़ दिया नहीं समझ लेना चाहिये । हृदय में जो विपरीत श्रद्धान बैठा है कि जिसके कारण संसार से मोह और रागद्वेष की परिणति तथा क्रोधादि कषायें लगी हैं उन्हें छोड़ने पर तथा सच्चे देव गुरु शास्त्र अथवा धर्म-आत्मधर्म की मान्यता हो तब मिध्यात्व छोड़ दिया समझना चाहिये ।
हम अरहंत भगवान की पूजा- बंदना - भक्ति करते हैं, जैन मुनियों को मानते हैं, जैन शास्त्र पढ़ते या सुनते हैं, तथा हमने जैन कुल में जन्म लिया है अथवा दूसरे धर्म वालों की निन्दा करते हैं इतने में ही अपने को सम्यक्ती नहीं मान लेना चाहिये । सम्यक्ती बनने के लिये तो आत्मज्ञान चाहिये और आत्मज्ञान के लिये अध्यात्म ग्रन्थों की स्वाध्याय करना चाहिये तब कहीं सम्यक्ती बन सकोगे ।
प्राणीमात्र के प्रति निर्वैर बुद्धि, अधिक गुण वालों के प्रति प्रमोद - हर्ष, दुःखी रोगी जीवों कं प्रति करुणा और हठग्राही मिध्यादृष्टि जीवों के प्रति माध्यस्थ भावना - ये चार भावना अहिंसादि पांच व्रतों की स्थिरता के लिये बार बार रखना, चिन्तवन करना योग्य है
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कोई क्रिया जड़ है कोई शुष्क ज्ञानी है और इन दोनों को मोक्षमार्ग मान रहे हैं, ऐसे ज्ञानियों के प्रति भी ज्ञानी पुरुष करुणा भाव हो रखते हैं, द्वेष नहीं करते। क्योंकि वे विचारे वस्तुरुप के विवेक से रहित हैं अथवा खोटी गति में ले जाने को कर्म की प्रेरणा के आधीन हैं ।
'अनन्त जीवों में कुछ सुखी हैं और बहु संख्या के जीव दुःखी हैं। जो जीव सुखी हैं वे सम्यग्ज्ञान से ही सुखी हैं, विना सम्यग्ज्ञान के कोई जीव सुखी नहीं हो सकता, सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान का कारण है। इस तरह सुख का प्रारम्भ सम्यग्दर्शन से ही होता है और सुख की पूर्णता सिद्ध दशा में होती है । स्वरूप - श्रात्म स्वरूप को नहीं समझने वाले मिध्यादृष्टि जीव दुखी हैं ।
जीव में जितने अंश में राग-द्वेष का अभाव होता है उतने अंश में बीतराग-ज्ञान- श्रानन्द सुख का सद्भाव होता है
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श्री तारण स्वामी ने सम्यग्दृष्टि जीवों को संवेग और वैराग्य के लिये संसार - शरीर और भोगों के स्वभाव का चितवन करने के लिये कहा है । बारबार चिन्तवन करने को कहा है। क्योंकि यह चिंतन धर्मानुराग तथा वैराग्य भावना का प्रेरक है
सम्यग्दृष्टि जीव ही संसार, शरीर और भोगों के स्वभाव का यथार्थ विचार कर सकता है ।