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[ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥ "जहा य किंपागफला मणोरमा, रसेण वण्णेण य भुज्जमाणा । ते खुद्दए जीवियपच्चवाए, एउवमा कामगुणा विवागे" ॥११६॥ [ उपजाति ]
[उत्त./३२-२०] "अच्चेइ कालो तूरंति राईओ, न यावि भोगा पुरिसाण निच्चा। __उविच्च भोगा पुरिसं चयंति, दुमं जहा खीणफलं व पक्खी ॥११७॥ [ काव्यं ]
[उत्त./१३-३१] खणमित्तसुक्खा बहुकालदुक्खा, पगामदुक्खा अणिगामसुक्खा। संसारसुक्खस्स विपक्खभूया, खाणी अणत्थाण उ कामभोगा ॥११८॥ [काव्यं ]
[उत्त./१४-१३] 10 यद् दशवैकालिके च -
विसएसु मणुन्नेसुं पेमं नाऽभिनिवेसए । अणिच्चं तेसि विन्नाय, परिणामं पुग्गलाण य ॥११९॥ [ आर्या ] [ द.वै./८/५९] पुग्गलाण परिणाम, तेसिं नच्चा जहा तहा ।
विणीयतिण्हो विहरे, सीईभूएण अप्पणा ॥१२०॥ [ द.वै./८/६०] 15 परिजूर ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते ।
से सोयबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२१॥ [ उत्त./१०-२१] परिजूरड ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से चक्खुबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२२॥ [ उत्त./१०-२२]
परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । 20 से घाणबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२३॥ [ उत्त./१०-२३]
परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से जिब्भबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२४॥ [ उत्त./१०-२४] परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते ।
से फासबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२५॥ [ उत्त./१०-२५] 25 परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते ।
से सव्वबले य हायड, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२६॥ [उत्त./१०-२६]
१.जीवियपच्चमाणा उत्तराध्ययने।
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