SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१८] [ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥ "जहा य किंपागफला मणोरमा, रसेण वण्णेण य भुज्जमाणा । ते खुद्दए जीवियपच्चवाए, एउवमा कामगुणा विवागे" ॥११६॥ [ उपजाति ] [उत्त./३२-२०] "अच्चेइ कालो तूरंति राईओ, न यावि भोगा पुरिसाण निच्चा। __उविच्च भोगा पुरिसं चयंति, दुमं जहा खीणफलं व पक्खी ॥११७॥ [ काव्यं ] [उत्त./१३-३१] खणमित्तसुक्खा बहुकालदुक्खा, पगामदुक्खा अणिगामसुक्खा। संसारसुक्खस्स विपक्खभूया, खाणी अणत्थाण उ कामभोगा ॥११८॥ [काव्यं ] [उत्त./१४-१३] 10 यद् दशवैकालिके च - विसएसु मणुन्नेसुं पेमं नाऽभिनिवेसए । अणिच्चं तेसि विन्नाय, परिणामं पुग्गलाण य ॥११९॥ [ आर्या ] [ द.वै./८/५९] पुग्गलाण परिणाम, तेसिं नच्चा जहा तहा । विणीयतिण्हो विहरे, सीईभूएण अप्पणा ॥१२०॥ [ द.वै./८/६०] 15 परिजूर ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से सोयबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२१॥ [ उत्त./१०-२१] परिजूरड ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से चक्खुबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२२॥ [ उत्त./१०-२२] परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । 20 से घाणबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२३॥ [ उत्त./१०-२३] परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से जिब्भबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२४॥ [ उत्त./१०-२४] परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से फासबले य हायइ, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२५॥ [ उत्त./१०-२५] 25 परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति ते । से सव्वबले य हायड, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२६॥ [उत्त./१०-२६] १.जीवियपच्चमाणा उत्तराध्ययने। D:\amarata.pm5\3rd proof
SR No.009695
Book TitleRushidatta Charitra Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2011
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy