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[ ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥
अह एवमाइ दुक्खं सहिऊणं नारया इहं पावा । उव्वरियसेसपावा, तिरियत्ते चेव जायंति ॥१९२॥ पुढवी-याऽऽऊ-तेऊ-वाऊ - वणस्सई य ते हुंति । पज्जत्ताऽपज्जत्ता सुहुमा तह य बायरा चेव ॥१९३॥ पत्तेया साहारण, तसा य तह थावरा य ते हुंति । बेइंदिय - तेइंदिय - चउरिंदी तह य पज्जत्ता ॥ १९४॥ अह कह य घंसणा - घोलणाहिं पंचिदियत्तणं लहहि । तत्थ ति गो-महिसुट्टाइएसु, जायंति कयपावा ॥ १९५॥ एमाइ हिंडिऊणं मणुयत्तं, कह वि पावए जीवो । तं पि अणारियदेसेसु जत्थ य लद्धं पि नो सहलं ॥१९६॥ अह कह वि हिंडिऊणं, आरियखेत्तं कहं पि सो लहइ । तत्थ वि मिच्छत्तजडो, जिणमयधम्मं न पावे ॥१९७॥ जह पुण एवं सारं मणुयत्तं होइ अमत्ताईणं । इहि नरवर ? निसुणसु तं ते हं संपवक्खामि ॥१९८॥ जह सारो सेण्णाणं, नेत्तू खीरोदही समुद्दाणं । तह सारो मणुयभवो, अण्णेसिं होइ जम्माणं ॥ १९९॥ जह मणुयाणं चक्की सारो, देवाण जह य देविंदो । तह सारो मणुयभवो, अण्णेसिं होइ जम्माणं ॥ २००॥
जह देवाण जिणिदो सारो, धम्माण जह य जिणधम्मो ।
तह सारो मणुयभवो, अण्णेसिं होइ नं जुयाणं (जम्माणं? ) ॥२०१॥
अह तिरियाण मियारी, हंसो जह होड़ पक्खिवग्गाणं । तह सारो मणुयभवो, अण्णेसिं होइ जम्माणं ॥ २०२ ॥ गोसीसचंदणं चंदणाणं, कुसुमाण जह य सयवत्तं । तह सारो मणुयभवो, अण्णेसिं होइ जम्माणं ॥ २०३॥ अइरावणो गयाणं, धरणिंदो जह य होइ नागाणं । तह सारो मणुयभवो, अण्णेसिं मणुय ( होइ) जम्माणं ॥२०४॥
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