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[ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥ जं पुण पावं काउं, नरए वच्चंति पाणिणो बहवे । एत्तो सुणसु नराहिव !, तं तं [अ]हंमं पवक्खामि ॥१६६॥ पाणिवह-अलियवयणं चोरिक्कं काउं के वि इह पाणी । निच्चंधयारतमसे पडंति नरए महाघोरे ॥१६७॥ णरयगइगमणचित्ता परिग्गहे जे हवंति अनियत्ता । नेरए बहुवेअणए अहोसिरा जंति ते पावा ॥१६८॥ एगिदिय-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिय तह य पंचिंदिय । हणिऊण महापावा नरए बहुवेयणे जंति ॥१६९॥ जे हंति कणिम(मा)हारा जीवे घायंति मंसरसलुद्धा। ते पावकम्मजुत्ता नरए दुक्खाइं पाविति ॥१७०॥ महु-मज्ज-मसलुद्धा, पारद्धी, जे भुजंति इह मूढा । ते गरुयं [ बहुदुक्खं, नरए पावंति कयपावा ॥१७१॥ जे अलियवयणनिरया अब्भक्खाणं कुणंति पाणीणं । ते बहु वेयणपउरे नरए दुक्खाइं पावंति ॥१७२॥ भासंति कन्नअलियं गोअलियं तह य कूडसक्खेज्जं । ते कयपावा पावा नरए दुक्खेहि पच्चंति ॥१७३॥ भूमिनिमित्तं अलियं, नासं अवहरइ तह य जो लुद्धो । सो कयपावो जीवो, नरए बहुवेयणे जाइ ॥१७४॥ जो परदव्वं गिण्हइ माइल्लो, चोरियाए तह निरओ। सो वि अणंतं कालं, पच्चइ कुंभीसु नरयगओ ॥१७५॥ कूडतुल-कूडमाणं तप्पडिरूवेहिं तह य जे दिति । ते पावभरियभारा नरए बहुवेयणे जंति ॥१७६॥ जो परदारं गच्छइ, बहुकोहो लोह-माण-माइल्लो। सो वि कयपावकम्मो सयहुत्तं जाइ नरएसु ॥१७७॥ जो य परिग्गहमाणं न कुणइ जं जिणवरेहिं पण्णत्तं । सो छेय-भेय-उक्कत्तणाइं नरए जिओ लहइ ॥१७८॥
D:\amarata.pm5\3rd proof