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रिसिदत्ताचरिए तइज्जं पव्वं ॥]
अण्णे भणंति-एसा, रक्खसिया माणुसत्तएण इहं । माणुसमंसस्स कए, अवइण्णा निग्घिणा पावा ॥११।। अण्णे भणंति-भूई, अहव पिसाई य एस क(का)वि होज्जा । माणुसनेवत्थेणं, मारी इह आगया कावि ॥१२॥ अण्णे वि तत्थ बाला, परमत्थस्स [s?]जाणया महापावा । दट्ठण कुवलऽच्छि, असब्भवयणेहिं जपंति ॥१३॥ अण्णे भणंति-मारह, एसा सा जाइणी परमघोरा । जाव न सव्वं पि पुरं, पेसेइ जमस्स निलयम्मि ॥१४।। अक्कोसिज्जइ वरतणु(णू), अईव सा निठुरेहिं वयणेहिं । जेहिं सुयमेत्तएहि वि, जीयं नासेइ नारीणं ॥१५॥ एसा हया निरासा, पावा रोद्दा य तह निभग्गा य । एमाइ असब्भेहिं, जंपिज्जइ वुड्डमहिलाहिं ॥१६।। अण्णे भणंति-एसा पुव्वि वि य डाइणी अइपसिद्धा । केण वि कयावराहा तत्थ अरण्णम्मि पक्खित्ता ॥१७|| अण्णे भणंति-एसा, मुद्धसहावा गुणालया बाला । एरिसि [अ]कम्मस्स कहं, संभाविज्जउ मणेणा वि ॥१८॥ अइ भुला विणीया, लज्जालू तह य धम्मनिरया य । रइसमरूवा बाला, एरिसकम्मा कहं एसा ॥१९॥ ता नूण एस मुद्धा, अपाविया एत्थ वि नडिया विहिणा । एमाइ तत्थ लोया, बालं दट्टण जपंति ॥२०॥ नयरम्मि भमाडिउं[ऊण?] तेहि य पावेहि पाणपुरिसेहिं । संझायाले बाला, मसाणभूमीए उवणीया ॥२१।। मज्झक्केणं भणिया, पाणेणं सा इमं वरा बाला । रक्ख म[?] जम्मो एसो, करसु सुदिट्ठो तुमं पावे ॥२२॥ संभरसु इटुं देवं, निंदसु तह चेव जं कयं पावं । एस तुह उत्तमंगं, निवडइ खग्गहयं सिग्धं ॥२३॥
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