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[ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥ एयाए ग्गगमारियाए(?)कुमरो तं रुप्पिणिं न परिणेइ । घोट्टेऊण य अमयं, घोट्टइ किं को वि जेण विसं ॥९७।। जइ वि य तीए रूवं, तह वि न सोहइ ईए पुरओ' त्ति । सुट्ठ वि बगी पहाणा, सरिसा कि होइ हंसीए ? ॥९८।। ता एस दीहरच्छी, ससिवयणा निद्ध-कसिणघणकेसी । मारेमि कहं, बाला, तिलोयअच्छेरयभूया ॥९९।। उण्णयथणघणकलसा, खामा मज्झेण नाभिगंभीरा । तिवलीकयसोहिल्ला, मारेमि न एस हं बाला ॥१००। ऊरू कोमलजयला, नियंबपब्भारमंदगइगमणा ।। कुमुण्णयवरचलणा जीवउ एसा वरा बाला ॥१०१।। वरकणयतवियगोरा, मरालवरपीलुमत्तगइगमणा । मह जीविएण एसा जीवउ बाला चिरं कालं ॥१०२।। लद्धो मए उवाओ, जेण य एसा इमाओं नगरीओ । नीसारिज्जइ तुरियं, रुप्पिणिवसगो हवइ कुमरो ॥१०३।। एयं चिंतेऊणं गया य, पव्वाइया नियावासे । निग्गमण-पवेसाइं, जोएउं तीए भवणाओ ॥१०४।। सुत्त-पसुत्तम्मि जणे, रयणीए कत्तियं गहेऊणं । अवसोयणि च दाउं, रायकुलं सा गया पावा ॥१०५।। खित्तो य तीए चुण्णो, पावाए चक्खुमोहणो तत्थ । दिट्ठो य अइपहाणो, पुरिसो रायंगणे सुत्तो ॥१०६।। वावाइओ य तीए, सो पुरिसो कत्तियाएँ तिक्खाए । गहिऊण मंस-रुहिरं, गया य रिसिदत्तभवणम्मि ॥१०७।। अवसोवणि दाऊणं दारं उग्घाडिऊण सा पावा । पेक्खइ य सुहपसुत्तं, कुमरं सह तीएँ बालाए ॥१०८।। सा तेण रुहिरेणं, रिसिदत्ताए मुहं खरडिऊणं । ओसीसगे य मंसं, ठविऊणं ताण सत्ताणं ॥१०९।।
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