SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४] [ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥ एयाए ग्गगमारियाए(?)कुमरो तं रुप्पिणिं न परिणेइ । घोट्टेऊण य अमयं, घोट्टइ किं को वि जेण विसं ॥९७।। जइ वि य तीए रूवं, तह वि न सोहइ ईए पुरओ' त्ति । सुट्ठ वि बगी पहाणा, सरिसा कि होइ हंसीए ? ॥९८।। ता एस दीहरच्छी, ससिवयणा निद्ध-कसिणघणकेसी । मारेमि कहं, बाला, तिलोयअच्छेरयभूया ॥९९।। उण्णयथणघणकलसा, खामा मज्झेण नाभिगंभीरा । तिवलीकयसोहिल्ला, मारेमि न एस हं बाला ॥१००। ऊरू कोमलजयला, नियंबपब्भारमंदगइगमणा ।। कुमुण्णयवरचलणा जीवउ एसा वरा बाला ॥१०१।। वरकणयतवियगोरा, मरालवरपीलुमत्तगइगमणा । मह जीविएण एसा जीवउ बाला चिरं कालं ॥१०२।। लद्धो मए उवाओ, जेण य एसा इमाओं नगरीओ । नीसारिज्जइ तुरियं, रुप्पिणिवसगो हवइ कुमरो ॥१०३।। एयं चिंतेऊणं गया य, पव्वाइया नियावासे । निग्गमण-पवेसाइं, जोएउं तीए भवणाओ ॥१०४।। सुत्त-पसुत्तम्मि जणे, रयणीए कत्तियं गहेऊणं । अवसोयणि च दाउं, रायकुलं सा गया पावा ॥१०५।। खित्तो य तीए चुण्णो, पावाए चक्खुमोहणो तत्थ । दिट्ठो य अइपहाणो, पुरिसो रायंगणे सुत्तो ॥१०६।। वावाइओ य तीए, सो पुरिसो कत्तियाएँ तिक्खाए । गहिऊण मंस-रुहिरं, गया य रिसिदत्तभवणम्मि ॥१०७।। अवसोवणि दाऊणं दारं उग्घाडिऊण सा पावा । पेक्खइ य सुहपसुत्तं, कुमरं सह तीएँ बालाए ॥१०८।। सा तेण रुहिरेणं, रिसिदत्ताए मुहं खरडिऊणं । ओसीसगे य मंसं, ठविऊणं ताण सत्ताणं ॥१०९।। D:\amarata.pm5\3rd proof
SR No.009695
Book TitleRushidatta Charitra Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2011
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy